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श्री श्रेयांसनाथ भगवान, चैत्यवंदन श्री श्रेयांस अग्यारमा, विष्णु नृप ताय, विष्णु माता जेहनी, एंसी धनुषनी काय. वरस चोरासी लाखनु, पाल्युं जेणे आय, खड्गी लंछन पदकजे, सिंहपुरीनो राय..... राज्य तजी दीक्षा वरी ए, जिनवर उत्तम ज्ञान, पाम्या तस पद पद्मने, नमतां अविचल थान. .........३
श्री श्रेयांसनाथ भगवान, चैत्यवंदन सर्व भाव श्रेयो वर्या, श्री श्रेयांस जिनंद; आत्मशीतलता धारीने, टाळ्या मोहना फंद. उपशम क्षयोपशम अने, क्षायीक भावे जेह; सत्य श्रेयने पामतो, स्वयं श्रेयांस ज तेह. श्री श्रेयांस प्रभु समो ए निज आतमने करवा; वंदो ध्यावो भविजना, धरो न जडनी परवा.
श्री वासुपूज्यस्वामी- चैत्यवंदन क्षायिक लब्धि श्रेयथी, वासुपूज्य जिनदेव; थया हृदयमां जाणीने, करो प्रभुनी सेव.
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