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द्रव्य-भाव व्यवहारने, निश्चय सुविधि बेश; जैनधर्मनी जाणतां, करतां रहे न क्लेश. शुद्धातम परिणाममां ए, सर्व सुविधि समाय; आतम सुविधिनाथ थै, चिदानंदमय थाय......
श्री शीतलनाथ भगवाननु चैत्यवंदन आत्मिक धर्मनी शुद्धता, करीने शीतलनाथ; सर्व लोक शीतल करो, साचा शिवपुर साथ. ..... धर्म सुविधि आदरी, शीतल थया जिनेन्द्र, समताथी शीतल प्रभु, आतम स्वयं महेन्द्र. समता शीतलता थकी ए, शीतल प्रभु थवाय; बुद्धिसागर आत्मा पूर्णानंद सुहाय..
श्री शीतलनाथ भगवान, चैत्यवंदन नंदा दृढरथ नंदनो, शीतल शीतलनाथ; राजा भद्दिलपुर तणो, चलवे शिवपुर साथ. लाख पूरवर्नु आउखुं, नेवू धनुष प्रमाण; काया माया टालीने, लह्या पंचम नाण. श्रीवत्स लंछन सुंदरुं ए, पद पर्दो रहे जास; ते जिननी सेवा थकी, लहिये लील विलास..
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