________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
.....
........
श्री चंद्रप्रभस्वामीनु चैत्यवंदन लक्ष्मणा माता जनमीयो, महसेन जस ताय, उडुपति लंछन दीपतो, चंद्रपुरीनो राय. दश लाख पूरव आऊ, दोढसो धनुषनी देह, सुरनरपति सेवा करे, धरता अति ससनेह. चंद्रप्रभ जिन आठमा ए, उत्तम पद दातार, पद्मविजय कहे प्रणमीए, प्रभु मुज पार उतार. ........३
श्री सुविधिनाथ भगवान, चैत्यवंदन सुविधिनाथ नवमा नमुं, सुग्रीव जस तात; मगर लंछन चरणे नमुं, रामा रूडी मात. आयु बे लाख पूरवतणुं, शत धनुष्यनी काय; काकंदी नयरी धणी, प्रणमुं प्रभु पाय....... .........२ उत्तम विधि जेहथी लह्यो ए, तेणे सुविधि जिननाम; नमतां तस पद पद्मने, लहिये शाश्वत धाम. ........३
श्री सुविधिनाथ भगवान चैत्यवंदन सुविधिनाथ सुविधि दिये, आत्मशुद्धि हेत; श्रावक साधु धर्म बे, तेना सहु संकेत..
........१
३२
For Private And Personal Use Only