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जिनवाणी सहु वेदना, सत्य वेद समानी, शासनदेवीओ संघनी, करे भक्ति वखाणी. पंचमी तिथि स्तुति
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श्रावण सुदि दिन पंचमी ए, जनमीया नेमि जिणंद तो; श्याम वरण तनु शोभतुं ए, मुख शारदको चन्द तो. सहस वरस प्रभु आउखुं ए, ब्रह्मचारी भगवंत तो; अष्ट करम हेले हणी ए, पहोंता मुक्ति महंत तो. अष्टापद पर आदि जिन ए, पहोंता मुक्ति मोझार तो; वासुपूज्य चम्पापुरी ए, नेम मुक्ति गिरनार तो. पावापुरी नगरीमां वली ए, श्री वीरतणुं निर्वाण तो; समेत-शिखर वीश सिद्ध हुआ ए, शिर वहुं तेहनी आण तो . २ नेमिनाथ ज्ञानी हुआ ए, भाखे सार वचन तो; जीवदया गुण वेलडी ए, कीजे तास जतन तो. मृषा न बोलो मानवी ए, चोरी चित्त निवार तो; अनन्त तीर्थंकर एम भणे ए, परिहरीए परनार तो. गोमेध नामे जक्ष भलो ए, देवी श्री अम्बिका नाम तो ; शासन सान्निध्य जे करे ए, करे वली धर्मनां काम तो.
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