________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
इत्यादिक जिनवर, जन्म ज्ञान निरवाण; हुं बीज तणे दिन, प्रणमुं ते सुविहाण. परकाश्यो बीजे, दुविध धर्म भगवंत; जेम विमल कमल दोय, विपुल नयन विकसंत. आगम अति अनुपम, जहां निश्चय व्यवहार; बीजे सवि कीजे, पातकनो परिहार .. गज-गामिनी कामिनी, कमल सुकोमल चीर; चक्केसरी केसरी, सरस सुगंध शरीर.
कर जोडी बीजे, हुं प्रणमुं तस पाय; एम लब्धि विजय कहे, पूरो मनोरथ माय..
बीज की चार स्तुति की एक स्तुति
महावीर समकित बीजने, कहे केवलज्ञाने, तीर्थंकर सर्वे कहे, चंद्र सरखी प्रमाणे; सर्व धर्मनुं बीज छे, जैनधर्म अनादि, सिद्धायिका टाळती, सर्व संघ उपाधि. पंचमी की चार स्तुति की एक स्तुति समवसरणमां बेसीने, प्रभु वीरे प्रकाशी, पंचमी सहु तीर्थंकरे, कथी ज्ञानविलासी;
२३९
For Private And Personal Use Only
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२
३
४
१