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विविध-सुकृत-शाखो, भंग-पत्रोघ-शाली; नय-कुसुम-मनोज्ञः, प्रौढ-संपत्फलाढ्यः. हरतु विनुवतां श्री, सिद्धचक्रं जनानां; तरुरिव भवतापा-, नागमः श्री जिनानाम्. जिनपति-, पदसेवा-सावधाना धुनाना; दुरित-रिपु-कदम्बं, कान्त-कान्तिं दधानाः. ददतु तपसि पुंसां, सिद्धचक्रस्य नव्यं; प्रमदमि-हरताना, रोहिणी-मुख्य-देव्यः.
दीपावली पर्व स्तुति मनोहर मूर्ति महावीर तणी, जेणे सोल पहोर देशना पभणी; नव मल्ली नव लच्छवी नृपति सुणी,
कहे शिव पाम्या त्रिभुवन धणी............१ शिव पहोत्या ऋषभ चउदश भत्ते,
___ बावीश लह्या शिव मास तिथे; छठे शिव पाम्या वीर वली,
___ कार्तिक वदी अमावास्या निरमली.....२ आगामी भावी भाव कह्यां, दीवाली कल्पे जे लह्यां; पुण्य पाप फल अज्झयणे कह्यां, सवि तहत्ति करीने सद्दह्या.३
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