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सिद्धाचल तीर्थ स्तुति
श्री शत्रुंजय आदि जिन आव्या, पूरव नवाणुं वारजी; अनंत लाभ इहां जिनवर जाणी, समोसर्या निरधारजी. विमल गिरिवर महिमा मोटो, सिद्धाचल इणे ठामजी; कांकरे कांकरे अनंता सिद्ध्या, एकसो आठ गिरि नामजी. १
सिद्धाचल तीर्थ स्तुति
पुंडरीक गिरि महिमा, आगममां प्रसिद्ध; विमलाचल भेटी, लहीए अविचल ऋद्ध. पंचमी गति पहोंता, मुनिवर कोडाकोड; इणे तीरथे आवी, कर्म विपाक विछोड.
सिद्धाचल तीर्थ स्तुति
सिद्धाचल-मंडन, ऋषभ जिणंद दयाल; मरुदेवा-नन्दन, वन्दन करूं त्रण काल. ए तीरथ जाणी, पूर्व नवाणुं वार; आदीश्वर आव्या, जाणी लाभ अपार.
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सिद्धाचल तीर्थ स्तुति
श्री शत्रुंजय तीरथ सार, गिरिवरमां जेम मेरु उदार,
ठाकुर राम अपार;
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