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सीमंधर जिन स्तुति महाविदेह क्षेत्रमा सीमंधर स्वामी, सोनानु सिंहासन जी; रूपानुं त्यां छत्र विराजे, रत्न मणिना दीवा दीपे जी. कुमकुम वरणी त्यां गहुंली विराजे, मोतीना अक्षत सार जी; त्यां बेठा सीमंधर स्वामी, बोले मधुरी वाणी जी. केसर चन्दन भर्या कचोलां, कस्तूरी बरासो जी; पहेली पूजा अमारी होजो, ऊगमते प्रभाते जी. ........१
सीमंधर जिन स्तुति महाविदेहे सीमंधरजिन, वैदेही देहे छता, केवलज्ञानी आतमरामी, उपकारी जगमां छता; द्रव्यभावथी अंतर बाहिर, उपशम आदि भावथी, सीमंधरजिन वंदुं ध्या, आत्मिक सीमादावथी. .......
सिद्धाचलनी स्तुति द्रव्यभावथी सिद्धाचलगिरि, बाहिर अंतर जाणोजी, सात नयोनी सापेक्षाए, समजी मनमां आणोजी; निमित्त कारण उपादानथी, सिद्धाचलने सेवोजी, बुद्धिसागर वीरप्रभुजी, भाखे त्रिभुवनदेवोजी.
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