________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पार्श्व जिन स्तुति
शंखेश्वर पासजी पूजीए, नर भवनो लाहो लीजिए.
मन वांछित पूरण सुर-तरु, जय वामासुत अलवेसरु. दोय राता जिनवर अति भला,
दोय धोला जिनवर गुण - नीला. दोय नीला दोय श्यामल कह्या, सोले जिन कंचन-वर्ण लह्या..... २ आगम ते जिनवर भाखीयो, गणधर ते हइडे राखीयो. तेहनो रस जेणे चाखीयो, ते हुवो शिव-सुख साखीयो. धरणेंद्र राय पद्मावती, प्रभु पार्श्व-तणा गुण गावती. सहु संघना संकट चूरती, नय - विमलनां वांछित पूरती. पार्श्व जिन स्तुति
पार्श्व जिन स्तुति
श्री चिंतामणि कीजे सेव, वली वंदु चोवीशे देव; विनय कहे आगमथी सुणो, पद्मावतीनो महिमा घणो. (इस गाथा को चार बार बोल सकते है.)
२२०
For Private And Personal Use Only
.....
१
३
भीड भंजन पास प्रभु समरो, अरिहंत अनंतनुं ध्यान धरो; जिनागम अमृत पान करो, शासन देवी सवि विघ्न हरो.. (इस गाथा को चार बार बोल सकते हैं.)
१
४
१