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श्रेय: श्रियां मंगल पादपूर्ति पार्श्व जिन स्तुति श्रेयः श्रियां मंगल-केलिसद्म!, श्रीयुक्त-चिन्तामणि-पार्श्वनाथ!; दुर्वार-संसार-भयाच्च रक्ष, मोक्षस्य मार्गे वर-सार्थवाह! .....१ जिनेश्वराणां निकर! क्षमायां, नरेन्द्र-देवेन्द्र-नतांघ्रि-पद्म!; कुरुष्व निर्वाण-सुखं क्षमाभृत्!, सत्केवल-ज्ञानरमां दधान!...२ कैवल्य-वामा-हृदयैकहार!, क्षमा-सरस्व-द्रजनीश-तुल्य!; सर्वज्ञ! सर्वातिशय-प्रधान!, तनोतु ते वाग जिनराज! सौख्यम..३ श्री-पार्श्वनाथ-क्रमणाम्बु-जात-, सारंग-तुल्यः कलधौत-कान्तिः; श्री-यक्षराजो गरुडाभिधानः, चिरं जय ज्ञान-कलानिधान! ..४
महावीर स्वामी स्तुति वीर प्रभुमय जीवन धारो, सर्व जाति शक्तिथी, दोषो टाळी सद्गुण लेशो, बनशो महावीर व्यक्तिथी; स्वप्ने पण हिम्मत नहि हारो, कार्योनी सिद्धि करो, वीर प्रभु उपदेशे कांई, अशक्य नहि निश्चय धरो. .......१
महावीर स्वामी स्तुति जय! जय! भवि हितकर, वीर जिनेश्वर देव; सुर-नरना नायक, जेहनी सारे सेव; करुणा रस कंदो, वंदो आणंद आणी, त्रिशला सुत सुंदर, गुण-मणि केरो खाणी..
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