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कुंथुनाथ स्तुति कुथुनाथमय थै ने भव्यो, कुंथुनाथ आराधोजी, आतमरूपे थै ने आतम, सिद्धिपदने साधोजी; आसकितवण कर्मो करतां, आतम नहीं बंधायजी, करे क्रिया पण अक्रिय पोते, उपयोगे प्रभु थायजी.
श्री कुंथुनाथ भगवाननी थोय कुंथु जिननाथ, जे करे छे सनाथ, तारे भव पाथ, जे ग्रही भव्य हाथ, एहनो तजे साथ, बावळ दीए बाथ, तरे सुरनर साथ, जे सुणे एक गाथ.
श्री अरनाथ भगवाननी थोय अर जिनवर राया, जेहनी देवी माया, सुदर्शन नृप ताया, जास सुवर्ण काया; नंदावर्त पाया, देशना शुद्ध दाया, समवसरण विरचाया, इंद्र-इंद्राणी गाया.
अरनाथ स्तुति कर्म करो पण कर्मथी, रहो निर्लेप भव्यो, जिन थातां परमार्थनां, थातां कर्तव्यो;
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