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शांतिनाथ स्तुति
सुकृत-कमल-नीरं, कर्म्म- गोसार -सीरं, मृग- रुचिर शरीरं, लब्ध-संसार-तीरम्; मदन-दहन-वीरं, विश्व-कोटीरहीरं, श्रयतु गिरिप-धीरं, शान्तिदेवं गभीरम्.. जलधि-मधुर-नादा, निस्सदा निर्विषादाः, परम-पदर-मादा-स्त्यक्त-सर्व-प्रमादाः; दलित-पर-विवादा, भुक्त-दत्त- प्रसादा, मद-कज-शशि-पादाः, पान्तु जैनेन्द्र-पादाः. दुरित तिमिर-सूरं, दुर्म्मता-स्कन्द-शूरं, कुहठ- फणि-मयूरं, स्वादुजिद् हारहूकम्; अशिव-गमन-तूरं, तत्त्व - भाजा-मदूरं, शृणुत वचन-पूरं, चार्हतां कर्ण-पूरम्. जिन-पनवन-सारा, नश्चमत्कार-काराः, श्रुत-मित-सुर-वाराः, कर्म-पाथोधि-तारा;
शुभ-तरु-जल-धाराः, सारा-सादृश्य-धारा, ददतु सपरिवारा, मङ्गलं सूपकाराः..
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