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अष्टप्रकारी पूजा विधि
जल पूजाना दोहा ज्ञान कलश भरी आतमा, समता रस भरपूर. श्री जिनने नवरावतां, कर्म होये चकचूर. ... जल पूजा जुगते करो, मेल अनादि विनाश. जल पूजा फल मुज होजो, मागो एम प्रभु पास...............१
दुधना पक्षालना दोहा मेरु शिखर नवरावे हो सुरपति, मेरु शिखर नवरावे; जन्म काल जिनवरजी को जाणी, पंच-रूप करी आवे..हो.१ रत्न प्रमुख अड जातिना कलशा, औषधि चूरण मिलावे; । खीर समुद्र तीर्थोदक आणी, स्नात्र करी गुण गावे. ..... हो.२ एणी पेरे जिन-प्रतिमा को न्हवण करी, बोधि-बीज मानुं वावे; अनुक्रमे गुण रत्नाकर फरसी, जिन उत्तम पद पावे.....हो.३
चंदन पूजाना दोहा शीतल गुण जेहमां रह्यो, शीतल प्रभु मुख रंग. आत्म शीतल करवा भणी, पूजो अरिहा अंग.
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