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बाकुल वहोर्या वीरजिने, तारी चन्दनबाला रे. केवल लई प्रभु मुगते पहोंच्या, पाम्या भवनो पार. ... जिन.३. एवा मुनिने वन्दीए, जे पंचज्ञान ने धरता रे. समवसरण दई देशना, प्रभु तार्या नर ने नार. ....... जिन.४. चोवीसमा जिनेसरू रे, मुक्तितणा दातार रे. कर जोडी कवि एम भणे, प्रभु भवनो फेरो टाल..... जिन.५.
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