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नेमिनाथ गुण गावतांजी गुण प्रकटे निर्धाररे; कारण पामी कारज संपजेजी; यात्रा करो सुखकाररे. ......
............ गिरनार० २ नेमिजिनेश्वर मंदिर शोभतुंजी, स्वर्गविमान समानरे; नेमि प्रतिमा दर्शन करेजी, नासे दोषनी खाण रे.
..................... गिरनार० ३ नेमिजिनेस्वर सरखो आतमाजी, नेमिना ध्यानथी थायरे; टळे उपाधि आधि यात्राथीजी, निवृत्ति सत्य प्रकटायरे.
..................... गिरनार० ४ निवृत्ति माटे तीर्थनी सेवनाजी, आतम निःसंग थायरे; बुद्धिसागर निज आत्मनीजी, शुद्धदशा प्रगटायरे. गिरनार० ५
दीपावली पर्व स्तवन मारे दीवाली थई आज, प्रभु-मुख जोवाने; सर्यां सर्यां रे सेवकनां काज, भव दुःख खोवाने. महावीर स्वामी मुगते पहोंता, गौतम केवल ज्ञान रे; धन्य अमावस्या धन्य दीवाली, महावीर प्रभु निरवाण. जिन.१. चारित्र पाली निरमलुं रे, टाल्यां विषय-कषाय रे. एवा मुनिने वन्दीए, जे उतारे भवपार..
जिन.२.
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