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गयी दीनता अब सब ही हमारी, प्रभु तुझ समकित दान में; प्रभु गुण अनुभव रस के आगे, आवत नहीं कोई मान में. हम जिनहीं पाया तिनही छिपाया, न कहे कोउ के कान में; ताली लागी जब अनुभव की, तब समझे कोइ सान में. हम.५ प्रभु गुण अनुभव चन्द्रहास ज्यूं, सो तो न रहे म्यान में; वाचक जस कहे मोह महा अरि, जीत लिओ हे मेदान में हम.६
श्री शांतिनाथ स्तवन शांति जिनेश्वर साचो साहिब, शांति करण इण कलिमें; हो जिनजी तुं मेरा मनमें तुं मेरा दिलमें, ध्यान धरूं पल पलमें साहेबजी. तुं. भवमां भमतां में दरिशन पायो,आशा पूरो एक पलमें हो. तुं.२ निरमल ज्योत वदन पर सोहे,नीकस्यो ज्युं चंद बादलमें हो.तुं३ मेरो मन तुम साथे लीनो, मीन वसे ज्युं जलमें हो. तुं......४ जिनरंग कहे प्रभु शांति जिनेश्वर, दीठोजी देव सकलमें हो.तुं.५
श्री शांतिनाथ स्तवन म्हारो मुजरो ल्योने राज, साहिब शांति सलुणा. अचिराजीना नंदन तोरे, दर्शन हेते आव्यो; समकित रीझ करोने स्वामी, भगति भेटणुं लाव्यो.... म्हारो.१
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