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दुःख भंजन छे बिरुद तुमारं, अमने आशा तुमारी; तुमे निरागी थईने छूटो, शी गति होशे अमारी....... म्हारो.२ कहेशे लोक न ताणी कहेवू, एवडुं स्वामी आगे; पण बालक जो बोली न जाणे, तो केम व्हालो लागे. म्हारो.३ मारे तो तुं समरथ साहिब, तो केम ओछु मार्नु; चिंतामणि जेणे गांठे बांध्यु, तेहने काम किशानुं. ..... म्हारो.४ अध्यातम रवि ऊग्यो मुज घट, मोह तिमिर हर्यु जुगते; विमल विजय वाचकनो सेवक, राम कहे शुभ भगते. म्हारो.५
श्री शांतिनाथ स्तवन शांति जिनेश्वर परमेश्वर विभुजी, गातां ने ध्यातां हर्ष अपाररे; शांति स्मरंतां प्रगटे शांतताजी, सहज योगे निर्धाररे.
... शांति० १ मनमां छे मोहज तावत् दुःख छ जी, मोह टळ्याथी साची शांतिरे; तम ने रजथी नहीं शांति आत्मनीजी, सात्त्विक शांति छेवटे शांतिरे ..
.. शांति०२ देह ने मनमां शांति नहीं खरीजी, शांति न बाहिर भोगे थाय रे
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