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________________ प्रात-२: प्रतिप्रामृत-१ | ७ | 'બીજુંપ્રાભૃત: પહેલું પ્રતિપ્રાભૃત । तिर्यक परिश्रमा ) સૂર્યની તિર્થક ગતિ વિષયક આઠ પ્રતિપત્તિઓ:| १ ता कहं ते तिरिच्छगई आहिएति वएज्जा ? तत्थ खलु इमाओ अट्ठ पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं जहा तत्थेगे एवमाहंसु-ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ मरीची आगासंसि उत्तिट्ठइ, से णं इमं तिरिय लोयं तिरियं करेइ, करेत्ता पच्चत्थिमंसि लोयतसि सायं मिरीयं आगासंसि विद्धंसइ, एगे एवमाहंसु । एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठइ, से णं इमं तिरियलोयं तिरियं करेइ, करेत्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतसि सायं सूरिए आगासंसि विद्धंसइ, एगे एवमाहंसु ।। एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आगासंसि उत्ति?इ, से णं इमं तिरियलोयं तिरियं करेइ, करेत्ता पच्चत्थिमंसि लोयंसि सायं सरिए आगासं अणपविसइ, अणपविसित्ता अहे पडियागच्छइ पडियागच्छित्ता पुणरवि अवरभू पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठइ, एगे एवमाहंसु । ___ एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए पुढविकायंसि उत्तिट्ठइ, से णं इमं तिरियलोयं तिरियं करेइ, करेत्ता पच्चत्थिमसि लोयतसि सायं सूरिए पुढविकायंसि विद्धंसइ, एगे एवमाहंसु । एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए, पुढवीकार्यसि उत्तिट्ठइ, से णं इमं तिरियलोयं तिरियं करेइ, करेत्ता पच्चत्थिमसि लोयतसि सायं सूरिए पुढविकायं अणुपविसइ अणुपविसित्ता अहे पडियागच्छइ पडियागच्छित्ता पुणरवि अवरभू पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए पुढवीकार्यसि उत्तिट्ठइ, एगे एवमाहसु । ___ एगे पुण एवमाहसु-ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आउकार्यसि उत्तिट्ठइ, से णं इमं तिरियलोयं तिरियं करेइ, करेत्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतसि सायं सूरिए आउकायंसि विद्धंसइ, एगे एवमाहंसु ।
SR No.008776
Book TitleAgam 16 17 Chandra Pragnapti Surya Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajematibai Mahasati, Artibai Mahasati, Subodhikabai Mahasati
PublisherGuru Pran Prakashan Mumbai
Publication Year2009
Total Pages526
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_chandrapragnapti
File Size19 MB
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