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श्री ठाशांग सूत्र -१
पण्णत्ता तं जहा - सुरूवे चेव, पडिरूवे चेव । दो जक्खिदा पण्णत्ता, I तं जहापुण्णभद्दे चेव, माणिभद्दे चेव । दो रक्खसिंदा पण्णत्ता, तं जहा- भीमे चेव, महाभीमे चेव । दो किण्णरिंदा पण्णत्ता, तं जहा- किण्णरे चेव, किंपुरिसे चेव । दो किंपुरिसिंदा पण्णत्ता तं जहा- सप्पुरिसे चेव, महापुरिसे चेव । दो महोरगिंदा पण्णत्ता, तं जहा - अइकाए चेव, महाकाए चेव । दो गंधव्विदा पण्णत्ता, तं जहा- गीयरती चेव, गीयजसे चेव ।
ભાવાર્થ :- • (२१-२२) पिशायना मे इन्द्रछे, यथा- डास खने महाअस. (२३-२४) भूतना जेन्द्रि બે छे, यथा- सु३प खने प्रति३५ (२५-२६) यक्षना जे इन्द्र छे, यथा- पूर्णभद्र अने भशिभद्र (२७-२८ ) राक्षसोना जे ईन्द्र छे, यथा- भीभ अने महालीभ. (२८-३०) द्विन्नरोना जे ईन्द्र छे, यथा- डिन्नर अने डिपुरुष. (३१-३२) डिम्पुरुषना जे न्द्र छे, यथा- सत्पुरुष खने महापुरुष. ( 33-3४) महोरगना जेन्द्र छे, यथा- खतिय अने महाडाय. ( 34-35) गंधर्वना जे न्द्र छे, यथा- गीत रति खने गीत यश. | ६९ दो अणपण्णिदा पण्णत्ता, तं जहा- सण्णिहिए चेव, सामण्णे चेव । दो पणपण्णिदा पण्णत्ता, तं जहा - धाए चेव, विहाए चेव । दो इसिवाइंदा पण्णत्ता, तं जहा- इसिच्चेव इसिवालए चेव । दो भूतवाइंदा पण्णत्ता, तं जहा- इस्सरे चेव, महिस्सरे चेव । दो कंदिंदा पण्णत्ता, तं जहा- सुवच्छे चेव, विसाले चेव । दो महाकंदिंदा पण्णत्ता, तं जहा- हस्से चेव हस्सरई चेव । दोकुभंडिंदा पण्णत्ता, तं जहा- सेए चेव, महासेए चेव । दो पयंगिंदा पण्णत्ता, तं जहा- पत्तए चेव, पतयवई चेव ।
भावार्थ :- (३७-३८) अएापशना मे न्द्र छे, यथा- सन्निहित अने सामान्य. ( उ८-४०) पएापशना जे ईन्द्र छे, यथा- धाता अने विधाता (४१-४२) ऋषिवाहिना जे न्द्र छे, यथा- ऋषि ने ऋषिपास. (४३-४४) भूतवाहिना मे न्द्र छे, यथा- ईश्वर ने महेश्वर (४५-४५) संघटना जे न्द्र छे, यथासुवत्स ने विशाल. (४७-४८) महासंघना जे इन्द्र छे, यथा- हास्य भने हास्यरति. (४९-५०) डुष्मांऽऽना जे ईन्द्र छे, यथा- श्वेत अने महाश्वेत. (५१-५२) पतंगोना जे ईन्द्र - पतंग खने पतंगगति.
७० जोइसियाणं देवाणं दो इंदा पण्णत्ता, तं जहा - चंदे चेव, सूरे चेव । भावार्थ :- (५३-५४) भ्योतिषीना मे ईन्द्र छे, यथा- चंद्र अने सूर्य.
७१ सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु दो इंदा पण्णत्ता, तं जहा- सक्के चेव, ईसाणे चेव । सणकुमार माहिंदेसु कप्पेसु दो इंदा पण्णत्ता, तं जहा