SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मिट्टि के समान बनो कुछ व्यक्ति मिट्टि की तरह होते हैं, वे किसी भी उपदेश या शिक्षा को • अपने भीतर उतारकर सत्कर्म के नये नये अंकुर पैदा कर जीवन को सरसब्ज बना लेते है. कुछ व्यक्ति पत्थर के समान हृदयवाले होते हैं, उन्हें चाहे जितना उपदेश सुनाया जाय, किन्तु पत्थर की तरह हमेशा सूखा और वीरान ही बना रहता है. मित्र, तुम अपने हृदय को पत्थर के तुल्य नहीं मिट्टि के समान बनाओ । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लक्ष्य के लिए दीपक पर मंडराते हुए एक लघु शलभ को देखकर प्रणयाकुल व्यक्तिने कहा - "देखो, शलभ की प्रेम-पिपासा । अपने प्रेमी के लिए प्राण न्यौछावर करने के लिए कैसे मचल रहा है ?" एक उदासीन विरागी ने कहा- "यह तो निरी मूढता है ।रूप मुग्ध मानव की तरह यह भी दीपक की लौ पर मुग्ध बना प्राणों से हाथ धोने जा रहा है ।" दोनों की बात सुनकर एक वीर साधक बोला- "प्रेम और मोह की भाषा तो तुम्हारी है. शलभ को इससे क्या लेना देना ? यह तो अपने लक्ष्य में समा जाने के लिए मचल रहा है. इसके सामने प्राणों का नहीं - लक्ष काही मूल्य है । ७९ For Private And Personal Use Only
SR No.008738
Book TitleSanshay Sab Door Bhaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages105
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy