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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra S www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८. सत्त्विक स्त्री पुरुषों की धार्मिकताकी परीक्षाके लिए । ऐसे ही प्रयोजनोंसे देव यहाँ कभी-कभी चले आते हैं अन्यथा नहीं." प्रभुके वचन सुनकर मौर्यपुत्र निःसंशय बन गये. आज भी लाखों व्यक्तियों को देवों के विषयमें संशय है. वह संशय तभी मिटता है, जब कोई चमत्कार दिखाने वाला मिल जाता है. साधनासे सिद्धि मिलती है. मेरे एक मित्र हैं. उन्होंने सैकडों व्यक्तियों के सामने एक प्रयोग दिखाया. पच्चीस-तीस फुटकी दूरी पर एक बड़ा बर्त्तन रखा गया. बर्त्तन बिलकुल खाली था. किसीने अपने घरसे लाकर रख दिया था. फिर बोले :"जिसे जिस वस्तुकी जरूरत हो, वह माँग ले." दस आदमियोंने अलग-अलग दस वस्तुएँ माँग लीं. मित्रके कहने पर एक कपड़े से वह बर्त्तन ढँक दिया गया. एक सेकंड बाद कह दिया कि कपड़ा हटा कर जिसने जो वस्तु माँगी है, उसे वह दे दो, उस बर्तन (बड़े भगोने) में वे दसों वस्तुएँ मौजूद थीं, जिनकी माँग की गई थी. वहाँ के एडिशनल कलेक्टर भी उस प्रयोगको देख रहे थे. वे बोले :- "यह कोई ट्रिक (चालाकी) भी हो सकती है. यदि आप मेरी इष्ट वस्तु मँगवा दें तो मैं मान लूँ कि देव आपके वश में है." मित्रने कहा :- "कहिये, आप कौन सी चीज़ चाहते हैं ?" कलेक्टरने कहा :- "मेरी अमुक चीज़ घर पर सेफमें रखी है और उसकी चावी मेरे पास है क्या उसे आप यहाँ मँगाकर दिखा सकते है ?" मित्रने मुश्किलसे आधा मिनिट ध्यान किया और अपनी मुट्ठी खोलकर बतला दी - "यही चीज है न आपकी ?" उन्होंने फौरन कान पकड़ लिये और नास्तिक से आस्तिक बन गये. यह तो मेरी आँखों देखी बात है, मित्रने मुझे सारी बात अच्छी तरह समझाई. बहुत सरल - सी प्रकिया है, जिसमें बहुत स्वल्प साधना की जरूरत पड़ती है. मात्र हम अपनी साधु अवस्थामें यह सब कर नहीं सकते. एक उदाहरण राष्ट्रपति भवन का है. यह सन् १९५४ की घटना है, जो "धर्मयुग" और "टाइम्स ऑफ इंडिया" में प्रकाशित हो चुकी है. र्डा. राजेन्द्र ६७ For Private And Personal Use Only
SR No.008738
Book TitleSanshay Sab Door Bhaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages105
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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