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स्टेशनमास्टरने पेटी उठाकर अपने रूममें रखवा ली. आधे घंटे में बिस्तर वहाँ से हावाकर कमरा घुलवा लिया, जिससे खूनका कोई दाग दिखाई न दे फिर अपने रूममें जाकर सो गया ठीक दो बजे मालगाड़ी आई. इंजन की लाइट में ड्राइवरने देखा कि पटरी पर कोई आदमी सोया है तो उसके मनमें शंका हुई कि कहीं किसीने किसीका मर्डर करके लाश पटरी पर तो नहीं डाल दी। यदि ऐसा हुआ तो व्यर्थ हो झूदा केस हम पर बन जायगा. उसने गाडीमें ब्रेक लगाना शुरू कर दिया ब्रेक लगातार लगाने के कारण धीरे-धीरे गाड़ी । उस लाश के पास जाकर रुक गई. उतरकर ड्राइवरने देखा तो स्पष्ट हो गया कि मामला मर्डर का ही है फौरन उसने स्टेशनमास्टर को जगाया. कहाः “आप चल कर देखिये किसीने हत्या करके लाश पटरी पर डाल रखी है पुलिस बुलाइये. पंचनामा कराइये. लाश हटवाइये. उसके बाद ही मैं माल गाड़ी आगे बढाऊँगा." स्टेशनमास्टर ने कहा - "मुझे गहरी नींद आ रही है आप लाश एक तरफ) हटाकर गाड़ी ले जाइये. हम आपके विरुद्ध कोई एक्शन लेनेवाले नहीं है। गार्ड भी आ गया. उसने कहा:- "देखिये, हम कानून के विरुद्ध कोई काम नहीं करेंगे. आप चलकर एक बार मामला देख लीजिये .. समझ लीजिये" स्टेशन मास्टरकी आनाकानी और बहानेबाजी चल न सकी, और उठकर उन्हें वहाँ जाना ही पड़ा, जहाँ लाश रखी हई थीं. प्रकाशमें जब लाश का चेहरा स्टेश-मास्टरने देखा तो छाती पीट-पीट कर चिल्लाने लगा:- "हाय । हारा । यह तो मेरा ही बेटा है धनकी लालचमें पड़कर मैंने इसकी हत्या करवा दी। मेरे जैसा पापी और कौन होगा ? मेरा पाप मुझे ले डूबा । धिक्कार है मुझे । इस प्रकार विलाप करनेसे सारा रहस्य खुल गया - पाप प्रकट हो गया और अपने बेटेकी हत्या कराने के अपराधमें उसे जेल जाना पड़ा और उस हत्यारे हरिजन को भी
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