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बुठियाने वैसा ही किया. दर्द सचमुच गायब हो गया. मफतलाल भाई के पुण्य का उदय प्रारंभ हुआ उन्हें बिना पैसे की प्रचारिका मिल गई वह जहाँ जाती, वहीं इस बातका जिक करती कि मेरे पेटका दर्द तीन पुडियोंमें किस तरह छूमन्तर हो गया. मफतलाल भाई बहुत अच्छे वैद्य है........ आदि. एक कुम्हार का गधा खो गया था. वह भी मफतलाल के पास जा पहुँचा बोला “यदि कोई ऐसी दवा तुम्हारे पास हो तो दे दो, जिससे मेरा खोया हुआ गधा मिल जाये." मफतलाल ने उसे भी तीन पुड़ियाँ दे दी और कहा कि गरम जलके साथ ले लेना. पहली पुडिया ली कि उसे हाजत हुई. वह लोटा लेकर बस्ती से बाहर निकला. जहाँ शौचके लिए बैढा, वहीं थोड़ी दूरी पर उसे उसका गधा भी बैठा मिल गया. खुश होकर वह उसे अपने घर लेठा आया. गधा कोई बिलायत नहीं गया था. उधर गंगा और इधर कुम्हार-अब दो प्रचारक मिल गये. दो-चार दिनमें तो सारा शहर जान गया कि वैद्य मफतलाल की दवामें बहुत असर है. बात फैलती हुई राजमहल तक जा पहुँची. वहाँ एक रानी से राजा प्यार नहीं करते थे. रानीने दासी के साथ वैद्य को राजमहल में बुलवाया और उनके सामने अपनी समस्या रक्खी. वैद्य मफतलाल भाई तो केवल एक ही इलाज जानते थे. रानी को भी उन्होंने तीन पुडियाँ त्रिफलाचूर्ण की दे दी और कह दिया कि इनके प्रभाव से राजा आपके वशमें हो जायेंगे.. आपसे पहले जैसा प्यार करने लगेंगे. वैद्य चला गया. रानीने पुडियाका सेवन किया. दस्तें लगने से वह कमजोर हो गई और उसने खाट पकड़ ली. मन्त्रिोंने राजाको सलाह दी कि आपकी रानी मृत्यु शय्यापर पडी है इसलिए आपको उससे मिलने जाना चाहिये, मृत्युशय्यापर तो लोग दुश्मन को भी माफ कर देते हैं : फिर आपकी तो वह धर्मपत्नी है. आपके जाने से उसे आश्वासन मिलेगा और शान्ति से वह अपने प्राण छोड सकेगी आप मिलने नहीं गये और वह मर गई तो लोग यही कहेंगे कि आप उससे प्यार नहीं करते थे - इस दुःख के कारण वह मरी है इस प्रकार आपकी भयंकर बदनामी होगी. इससे विपरीत यदि आप इस अन्त समय में उससे मिलने जायँगे तो लोगों में आपकी इज्जत बढ़ेगी.
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