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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हाथमें नहीं था क्या आप का जन्म भी आपके हाथमें नहीं था. क्या आप मुहूर्त देखकर आये थे इस दुनियामें ? नहीं. क्या घरसे निकलते समय ( मृत्यु होने पर) मुहूर्त देखा जायगा कि आज अच्छा मुहूर्त नहीं है सो काल ही मैं इस घर से निकलूँगा ? लोग आपसे पूछे बिना और मुहूर्त देखे बिना ही आपको श्मशानमें ले जा कर जला देंगे या गाड देंगे. "जब तेरी डोली निकाली जायगी । बिन मुहूरत के उठा ली जायगी ।" Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बिना मुहूर्त देखे आये थे और बिना मुहूर्त देखे ही जाना है. हम किसीके घर गेस्ट बनकर चले जायँ तो गेस्ट बने रहने में ही मजा है बेफिक्री है, परन्तु यदि मालिक बनने की कोशिश करें तो बहुत मुश्किलें पैदा हो जायँ. सेठ मफतलाल स्युसाइड करना चाहते थे क्यों कि सिर पर कर्ज बहुत चढ़ गया था उसी समय उनके शहर में एक नाटक मण्डली आई उन्होंने भी वह नाटक देखा, जिसमें अन्तिम दृश्य बहुत करूण था. नायक को उसमें आत्महत्या करते दिखाया गया था. मफतलाल ने सोचा कि यदि नायक की भूमिका मिल जाय तो दृश्यमें यथार्थता आ जायगी और अभिनयके बदले परिवार को जो धन मिलेगा, उससे कर्जा भी उतर जायगा. मरना तो मैं चाहता ही हूँ. नाटक में मरने से जहाँ वह दृश्य प्रभावक होगा, वहीं मेरे परिवारको भी आर्थिक सहायता मिल जायगी. यह सोचकर वे नाटक के डायरेक्टरसे मिले उनके सामने अपनी भावना प्रकट की कहा: "मुझे आप केवल दस हजार रूपये देनेका वचन दें नायक बनकर मैं सचमुच आत्महत्या कर लूँगा आपके दृश्य में जान आ जायगी. मरने के बाद राशि आप मेरे परिवारके पास पहुँचा दें. मैं अपनी इच्छासे मर रहा हूँ ऐसा कागज पर लिखकर मैं अपनी जेबमें रख लूँगा, जिससे आपको अपराधी मानकर पुलिस परेशान न कर सके ।" डायरेक्टर ने कहा भाई मफतलाल प्रस्ताव तो तुम्हारा बहुत अच्छा है, परन्तु आज की पब्लिक को देखा उसका स्वभाव विचित्र है यदि तुम्हारा वह प्रभावक दुःखान्त दृश्य देखकर दर्शकोंने प्रसन्न होकर मुझे आदेश दे दिया वन्स मोर । (एक बार और ।) तो सोचो, मैं तुम्हारे जैसा दूसरा आदमी कहाँ से लाऊँगा। मुझे माफ करो मुझे तुम्हारी मौत नहीं चहिये." ४३ For Private And Personal Use Only
SR No.008738
Book TitleSanshay Sab Door Bhaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages105
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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