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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Kas सर्वज्ञ महावीरको वादमें पराजित करनेके लिए स्वयं ही जाने की आवश्यकता अपने अनुज विद्वान अग्निभूति के सामने प्रतिवादित करने के बाद इन्दभूति प्रस्थान की तैयारी करने लगे. ललाट पर उन्होंने एक सौ ग्यारह नम्बरका तिलक लगाया. नई धोती पहनी. नया रेशमी दुपट्टा धारण किया. नई लम्बी-चौडी पगडीसे मस्तक सजाया. सुवर्ण के तारोंसे बना यज्ञोपवीत उनके वक्ष-स्थलकी शोभा बढा रहा था. शास्त्रार्थ या वाद करते समय अपनी बातकी पुष्टि के लिए दिये जा सकनेवाले शास्त्रीय उद्धरणों की एक हस्तलिखित पोथी हाथ में रख ली. नई खडाऊ पर पाँव रखकर वे चल पड़े उनके पाँच सौ शिष्य (छात्र) भी उनके साथ चल दिये. वे जयजयकारके नारोंसे पूरे वातावरणको गूंजा रहे थे. शिष्य उनकी विरूदावली बोलते जा रहे थे:- हे सरस्वती कण्ठाभरण । (वाणी के रूपमें सरस्वती ही आपके कंठ को मानो भूषित कर रही है), हे वादि विजयलक्ष्मी शरण । (वादियों से वादके बाद प्राप्त विजय श्रीने ही मानो आपकी शरण ग्रहण कर ली है) हे ज्ञातसर्वपुराण । (समस्त पुराणोंकी आप जानकारी रखते है), हे वादि कदली कृपाण । (कदलियों के समान वादियों के लिए आप कृपाण के समान है), हे पण्डित श्रेणीशिरोमणि । (पण्डितों के लिए मस्तक पर धारण करने योग्य मणिके समान आप है), हे कुमतान्धकार नभोमणि (कुमत रूपी अँधेरे के लिए आप सूर्य के समान है), हेजितवादिवृन्द (वादियोंके समुदाय को आप जीत चुके हैं), हे वादिगरुडगोविन्द । (गरुडके समान जो वादी है, उन पर सवारी करने वाले श्रीकृष्ण के समान हैं आप) हे वादिघटमुद्गर । (घडोंके समान वादियोंको फोड़नेके लिए आप मुद्गर के समान है), हे वादिधूकभास्कर । (उल्लूओंके समान वादियों के लिए आप सूर्य के समान है), हे वादिसमुद्रागस्त्य । (समुद्रके समान वादियों के लिए आप अगस्त्य ऋषि के समान है) हे वादिवृक्षहस्ति । (वृक्षोंके समान वादियों को उखाड़नेके लिए आप हस्ती (हाथी) के समान है ।) हे वादिकन्दकुद्दाल । (कन्द के समान वादियों को खोदने के लिए आप कुदालीके समान है ) हे वादिगजसिंह (हाथियोंके समान वादियोंके लिए आप सिंह के समान है) हे सरस्वतीलब्धप्रसाद । (सरस्वती आप पर प्रसन्न है)... आप की जय हो- विजय हो- आपका सूयश दिग्दिगन्तमें फैला रहे. For Private And Personal Use Only
SR No.008738
Book TitleSanshay Sab Door Bhaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages105
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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