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न टेलिफोन जोड़ने से जैसे फौरन घंटी, बजती है, उस प्रकार अगर भक्ति सच्ची है तो उसका परिणाम भी तुरंत ही मिलता है । मयणा ने प्रभु की स्तुति की और प्रभु के कंठ में पड़ी हुई पुष्पमाला उछल कर उसके ऊपर पड़ी।
प्रार्थना एक ऐसी चाबी है, जिससे जीवन के द्वार खुल जाते हैं, पशुता चली जाती है और प्रभुता अंदर आ जाती है ।
* * * • प्रेम बिना धीरज नहीं, विरह बिना बैराग ।
सतगुरु बिन जावै नहीं, मन मनसा का दाग ।। • साधू सीपि समुद्र की, सतगुरु स्वाती बूंद ।
तृषा गई इक बूंद से, क्या ले करूँ समुंद ॥ राम बुलावा भेजिया, टिया कबीरा रोय । जो सुख साधु संग में, सो बैकुंठ न होय ॥ परमेसुर अरु परमगुरु, दोनों एक समान । सुंदर' कहत बिसेष यह, गुरु तें पावै ज्ञान ।।
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