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सेना पर विजय प्राप्त की और सेठजी को मुक्त कराया । महाकाल ने मदनसना नामक अपनी कन्या से मेरा विवाह कर दिया। बिदाई के समय एक नर्तकी और सतमंजिली एक जहाज भेंट की । सेठजी से भी ढाई सौ जहाजें मिल गई । एक दिन सेठजी किराया माँगने आये तो उनक हिसाब से जितना होता था, उससे दस गुना किराया मैंने दे दिया । उसक बाद तो बिना माँगै ही प्रतिमास दस-दस गुना किराया उन्हें देता रहा । ___मार्ग में रत्नदीप आया । वहाँ रत्नसंचय नगर के राजा कनककेतु के जिनमान्दिर क बंद दरवाजे मुझ से खुल गएँ, प्रसन्न होकर राजा ने राजकुमारी रत्नमंजुषा से मेरा विवाह कर दिया । वहाँ भी कर चोरी के अपराध में पकड गय सठजी को मन छडाया ।
कुछ दिनों बाद वहाँ से विदा होकर आगे बढ़ । संठजी सोचने लगे कि यदि किसी तरह से वे मुझे समुद्र में डुबो दें तो ढाई सौ जहाजों पर फिरस अधिकार मिल जाय । साथ ही सतमंजिला जहाज और दोनों सन्दरीयाँ
भी प्राप्त हो जायँ । अपने कुविचार को शीध्र ही उन्होंने कार्यरूप में परिणत किया ।
सूतली का कच्चा मचान बनवाकर मुझे उस पर बिठा दिया और फिर मित्रों की सहायता से रस्सी कटवाकर मुझे समुद्र में गिरा दिया। जलतारिणी विद्या के बल पर में कंकम देश जा पहुँचा । वहाँ ठाणा नगरी के राजा वसपाल ने राजपत्री गणमाला से मेरा विवाह कर दिया । में वहाँ सानन्द रहने लगा ।
कुछ दिनों बाद सेठजी भी वहाँ आये । मुझे सकुशल देखकर चौंक। एक लाख रुपयों के पुरस्कार का प्रलोभन देकर भाँडो की एक मंडली को तेयार किया, जिससे वह मुझे राजा की नजरों से गिराने का प्रयास कर । मंडली को अभिनय में सफलता मिली । राजा ने मुझे भाँड़ों का रिश्तेदार समझा; परन्तु शीध्र ही उनका यह भ्रम मिट गया; क्योंकि झूठ क पाँव नहीं होत । मेरे कहने पर जब सतमंजिले जहाज की तलाशी ली गई ता मदनसेना और रत्नमंजूषा-इन दोनों ने मेरे पक्ष में गवाही दी । राजा ने क्रुद्ध होकर सेठजी को पकड़ लिया; किन्तु मेरे कहने से छोड़ दिया । यही नहीं, उनका आतिथ्य सत्कार भी किया । में तीनों रानियों के साथ राजमहल में सानन्द रहने लगा । हालचाल पूछने पर एक दिन मदनसेना ने बताया कि सेठजी के हृदय में काम, क्रोध और लोभ- इन तीन भूतों का निवास है । हम दोनों अनाथ अबलाओं का शीलभंग करने के लिए वे हाथ में तलवार लेकर हमारे जहाज में रात को मिलने आये । नवपद का स्मरण करक हम समुद्र में कूदने ही वाली थीं कि सहसा सिंहवाहिनी चक्रवरी दवी प्रकट हई । सेठजी ने क्षमा माँगी और पलायन कर गये ।
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