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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घटनाक्रम है. आपके मधुरतापूर्ण व्यवहार से अनेक जैन संघों में अनुशासनप्रियता का जन्म हुआ. आपके सौजन्यशील व शालीन उपदेशों से वर्षों से चले आ रहे अनेक विवाद सरलता से हल हो गए. संघ एक जुट हुआ. बरसों बाद दक्षिण भारत के जैन संघों व धर्मजिज्ञासु जनता को एक सफल - कुशल नेतृत्व का अनुभव हुआ. दक्षिण भारत में ज्ञान की विलुप्त धारा एक बार फिर तेज गति से बहने लगी. निःसंदेह दक्षिण भारत आपको कभी विस्मृत नहीं कर सकेगा. समय - समय पर वहाँ की श्रद्धालु जनता को एक महान सान्निध्य की अनुपस्थिति खलेगी. सम्मेत - शिखर का विवाद जैन समाज की श्रद्धा का प्रतीक और बीस तीर्थंकरों की निर्वाण - भूमि ' श्री सम्मेत - शिखर महातीर्थ ' का वर्षों तक चला विवाद भी आचार्य देव के अथक प्रयासों की बदौलत निपट सका. करीब - करीब पूरी तरह विवाद में उलझ चुके इस महातीर्थ को भलीभाँति बचा लेने में सेठ श्रेणिकभाई कस्तुरभाई के विशेष अनुरोध पर आचार्यश्री ने अहम् भूमिका निभायी थी. दो वर्ष की कड़ी मेहनत और अनेक बैठकों के बाद पटना हाईकोर्ट के माध्यम से अपना ‘एवोर्ड' देकर परस्पर न्यायालय में दाख़िल ८४ मुकदमों की वजह से - २८ For Private And Personal Use Only
SR No.008728
Book TitlePadmasagarsuriji Ek Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalsagar
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1991
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size2 MB
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