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मुल्ला कहता है-“साहब ! अगर मैं गुन्हा न करता तो वकील, कोर्ट का सब स्टाफ-आप, पुलीस-सब बेकार हो जाते । पहले ही भारत में कितने करोड बेकार है।
___ आज कल हमारी बुद्धि तो मुल्ला जैसी हो गयी है। हम पाप करते तो है, और ऊपर दलील करते है। बुद्धि से पाप का बचाव करते है।
जीवन प्रामाणिक और नीतियुक्त बनाओ। सहज में मिले, उस में संतोष मानकर अपना पाप पेट तक सीमित रखो ।
जो सहन करता है, वही साधना में प्रवेश कर सकता है । संसार में हम सब सहन करते है, लेकिन धर्म के लिए सहन करने को हस तयार नहीं।
मनमोहन मालवीयजी बनारस हिंदू युनिव्हर्सिटी के लिए चंदा इकठा करते हुओ घुमते थे। रांपूर एक मुस्लिम स्टेट था । उस स्टेट के नवाब के पास मालवीयजी चंदा के लिए गजे। नवाब तो संप्रदायिक वृत्ति का था। कुछ डोस लिया हुआ था । नवाब साहब को मालूम कर दिया गया कि मालवियजी आये है । अंदर बुलाया गया।
मालवीयजी ने कहा, "मैं ब्राह्मण हूँ । दक्षिणा लेने के लिए आप के पास आया हूँ।"
नवाब ने पूछा, "किस के लिए ?"
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