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नहीं । त्याग का स्वीकार नहीं करेंगे तब तक तत्त्व प्राप्ति होनेवाली नहीं ।
आप का मकान और गोडाऊन पूरा भरा हुआ हो । पाँव रखने के लिए भी जगह नहीं । दरवाजा खोला जाय तो सब माल बहार गिर जायेगा ऐंशी स्थिति है। इस वक्त आप का मित्र फॉरेन से कोई सुंदर वस्तू आप को भेट देने के लिए लेकर आया हे । और भेट स्वीकारने के लिए आप को कह रहा है। आप कहेंगे मेरे पास आप की भेट ग्रहण करने के लिए कोई भी जगह नहीं है । आपका तोहफा मैं स्वीकार नहीं कर सकता।
परमात्मा के प्रवचन से विचार वैभव आप को प्रदान किया जाता है । लेकिन मन रुपि आप का गोडाऊन विषय और विकारों से भरा हुआ है।
रुदन में हमेशा आकर्षण होता है । परमात्मा के पास आप हृदय वेदना प्रगट नहीं करोगे तो परमात्मा कैसे प्राप्त होगा ?
परमात्मा के पास बालक के जैसा हठ लेकर जाओ और कहो-'हे परमात्मन् । संसार के मोह को और ममत्व को मैं नहीं छोड सका । अब तुम हो मुझसे छुडा देना । धर्मस्थान पर अपराधी बन कर आना पडता है। गुन्हेगार बन कर जाओगे तो साहूकार बन के आओंगे । परमात्मा के पास शून्य बन कर जाओगे तो भर कर आओगें ।
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