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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir •ईा . बादशाहने कहा :- “अच्छी बात है। मैं आपसे एक प्रश्न करता हूँ। देखता हूँ कि कौन उसका टीक उत्तर देता है। जिसका उत्तर ठीक होगा, मैं उसीको प्रधानमन्त्री का पद दे दूंगा। इस प्रतियोगिता- परीक्षा मे हेमूजी भी शामिल होंगे। यद्यपि वे आज छुट्टी पर हैं; परन्तु कल तो वे आएँगे ही। वही प्रश्न उन्हें भी पूछ लूँगा।" सब मुल्ला बोले :- "ठीक है। हमें मंजूर है। आप फौरन अपना सवाल पेश कीजिये। हम अभी उसका ठीक उत्तर देकर प्रधानमन्त्री पद हथिया लेते हैं।'' ___ बादशाह,- “मैं जानना चाहता हूँ कि ऐसा कौनसा कार्य हैं ? जिसे मैं तो कर सकता हूँ; लेकिन खुदा नहीं कर सकता! बताइये।" सवाल सुनते ही सबके चेहरे नीचे लटक गये; क्योंकि न बादशाह को अपमानित किया जा सकता था और न खुदा को! बड़ा पेचीदा सवाल था। उत्तर सूझ नहीं रहा था; उन्होंने चौबीस घंटे तक सोचने की मोहलत माँग ली। बादशाहने मोहलत दे दी। मुल्ला रात-भर कुरानका पारायण करते रहे; परन्तु उन्हें कहीं भी इस सवालका माकूल जवाब नहीं मिला। आखिर परेशान होकर उन्होंने जवाब ढूँढने की कोशिश बन्द कर दी और मन-ही-मन इस कल्पना से प्रसन्न होने लगे कि हेमूजी इस जालमें बुरी तरह फँस जायेंगे; क्योंकि खुदा का या बादशाह का-किसीका भी उनके उत्तर से अपमान हुआ तो उन्हें फाँसी पर लटकवा देंगें; इस प्रकार हमारे बीचका काँटा हमेशाके लिए साफ हो जायगा। .. दूसरे दिन इसी खुशी को मनमे दबाये हुए वे राजदरबार में जा पहुँचे । हेमूजी वहाँ पहले से ही मौजूद थे। बादशाहने कहा : "चौबीस घंटेकी मोहलत खत्म हो चुकी है। मेरे सवालका जवाब किसी को सूझा हो तो पेश करे।' किसीको सूझा होता तो पेश करता! सबके सब खामोश रहे। आखिर हेमूजी से वही सवाल पूछा गया। उन्होंने सवाल सुनते ही जवाब दिया :"जहाँपनाह! आप किसीको देश निकाला दे सकते हैं; परन्तु खुदा यह कार्य नहीं कर सकता; क्योंकि आपकी सल्तनत सीमित है, खुदा की नहीं। सारी दुनिया उसी की है। किसीको वह निकालकर कहाँ भेजेगा? भेज ही नहीं सकता।'' __ हेमूजी की बुद्धिमत्ता से प्रसन्न होकर उन्हें पदोन्नत कर दिया गया। वित्तमन्त्री से उन्हें प्रधानमन्त्री बना दिया गया। वित्तमन्त्री का पद रिक्त हुआ। उस पर किसी मुल्ला को बिठाया गया। हेमू श्रावक की पदोन्नति से जले-भुने मुल्लाओंने वित्तमन्त्री से मिलकर एक कठोर प्रस्ताव बादशाह से पारित करवा लिया। उसके अनुसार हिन्दुओं पर और खास करके जैन श्रावकों पर बहुत सारे टैक्स लाद दिये गये। जो टैक्स नहीं चुका पाते, उन्हें जेलमें डाल दिया जाता। इस प्रकार श्रावकों For Private And Personal Use Only
SR No.008726
Book TitleMoksh Marg me Bis Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages169
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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