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किसी ने यह देखकर बादशाह से चुगली कर दी । बादशाह ने नाराज होकर शाल छीन ली और वजीर को नौकरी से अलग कर दिया ।
___ मानव शरीर भी उस शाल की तरह हमें प्राप्त हुआ है। नाक पोंछने की तरह पाप करके हम उसका दुरुपयोग न करें ।
एक वैज्ञानिक और कवि के दृष्टिकोण में बहुत अन्तर होता है। वैज्ञानिक की दृष्टि तथ्यों का अन्वेषण-विश्लेषण करती है और कविकी रि मानवता का अर्थात् सद्गुणोंका।
किसी वैज्ञानिकसे पूछा गया : 'कृपया बताइये कि लकड़ी जलमें क्यों तैरती है ?"
वैज्ञानिक ने कहा : "जल की अपेक्षा लकड़ी का धनत्व कम होता है, इसलिए वह उसमें तैरती है।
यही प्रश्न एक मानवतावादी कवि से भी पूछा गया । उस ने उत्तर दिया : "जल सोचता है कि यह लकड़ी जिस वृक्षकी है, उसका पालन-पोषण मैंने ही किया है, इसलिए मैं इसे भला कैसे डुबोऊँ ! इस प्रकार लकड़ी पर पुत्रवत् वात्सल्य की भावना के कारण जल उसे डुबोने में संकोच करता है। इतना ही नहीं, बल्कि अपनी हिलोरों के कोमल हाथों से उसे दुलराता है।"
कविके उत्तर में वात्सल्यकी शिक्षा है - प्रेरणा है । मानवता का मानवजीवन में पदसे भी अधिक महत्त्वपूर्ण स्थान है। कहा है :
अधिकारपदं प्राप्य नोपकारं करोति यः ।
अकारस्य ततो लोपः ककारो द्वित्वमाप्नुयात् ॥ [अधिकार का पद पाकर जो उपकार नहीं करता, उसके 'अ' कार का लोप हो जाता है और 'क' कार को द्वित्व प्राप्त होता है अर्थात् ऐसे व्यक्ति को धिक्कार' मिलता हैं]
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