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२०२ पी लिया। इस प्रकार अपने प्राणों का अन्त कर दिया । बाद में इसी कारण वे सीसोदिया कहलाये और फिर यही उनके वंश का नाम पड़ गया। महाराणा प्रताप जैसे पराक्रमी, तेजस्वी वीर पुरुष इसी वंश में पैदा हुए थे।
प्राणिहत्या का कैसा दुष्परिणाम होता है ? यह जानने के लिए सन् १६६६ के अखबारों में छपी कलकत्ता के एक मुस्लिम परिवार की लोमहर्षक घटना सुना रहा हूँ।
उस परिवार में पति-पत्नि के अतिरिक्त तीन बच्चे थे। पत्नि स्टोव जला कर उस पर भात चढ़ाने के बाद छरी से सब्जी काट रही थी।
पति ने एक मुर्गी पर छुरी चलाई और फिर किसी काम से छुरी वहीं छोड़ कर बाजार चला गया ।
कटती हुई मुर्गी का क्रन्दन सुन कर बड़े बच्चे को मजा आया तो और वैसा ही मजा लेने के लिए पिताजी वाली छुरी उठा कर उसने अपने छोटे भाई की गर्दन उड़ा दी। बच्चे की चिल्लाहट से भागती हुई माँ घटनास्थल पर आई और गुस्से में विवेकहीन होकर अपने हाथ की सब्जी वाली छुरी से उस बच्चे का पेट चीर दिया। उधर एक बच्चा स्टोव से जल मरा। इस प्रकार मुर्गी की हत्या ने एक मिनिट में तीनों बच्चों की जान ले ली।
क्या ऐसी घटनाएँ पढ़-सुन कर भी लोग अपनी क्रूर मनोवृत्ति से अपना पिण्ड छुड़ाने का प्रयास नहीं करेंगे ?
आचार्य सिद्धसेन ने विक्रमादित्य से, हेमचन्द्रसूरि ने कुमारपाल से और हीरविजयसूरि ने सम्राट अकबर से "अमारी प्रवर्तन" करवाया था। उसका अर्थ है-राजाज्ञा से पशुपक्षियों और जलचरों की हत्या का निषेध लागू कराना ।
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