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भोला बच्चा माँ के लौटने की प्रतीक्षा में बैठा ही था कि उसके पिता शहर से लौट आये। पूछने पर बच्चेने बताया कि माँ रोटी लेने कुए के भीतर गई है।
बाप सब कुछ समझ गया। उसने बच्चे को उठाकर कहा कि चलो हम दोनों भी माँ के पास ही चलें; और फिर वह भी कुए में कूद पड़ा !
ईर्ष्या ने चार प्राणियों की जाने ले लीं, जो बिल्कुल निर्दोष थे। उनके मरने से ईर्ष्यालु बड़े भाई को क्या मिला ? कुछ नहीं।
चिन्ताजन्य तीसरा भाव है- द्वष । जिसमें द्वष होता है, वह दूसरों का बुरा ही सोचता है।
एक सेठानी थी। वह मेहमानों का आतिथ्य सत्कार पसंद नहीं करती थी। एक दिन सेठजी चार मेहमानों को घर में ले आये।
सेठानी को रसोई बनाने का आदेश देकर वे बाजार में कुछ फल खरीदने चले गये।
इघर मौका देखकर सेठानीने चार खुरपे चूल्हे में रख दिये । वे धीरे-धीरे गर्म होकर एकदम लाल लाल हो गये।
मेहमानों ने पूछा : “ये खुरपे गर्म क्यों किये जा रहे
हैं ?"
सेठानी ने कहा : "मुझे आप पर दया पाती है। सेठजी यहाँ आने वाले सभी मेहमानों को भोजन कराते हुए ही उनकी पीठ खुरपों से जला देते हैं। इससे उन्हें इतनी अधिक वेदना होती है कि कोई मेहमान बन कर दुबारा इस घर में आने की हिम्मत नहीं करता।"
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