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प्रश्न : “और फिर से आया तो?" युवक : "तो फिर से डाल दूंगा !" प्रश्न : "लेकिन इतने लंगर कहाँ से आयेंगे ?" युवक : “तो फिर इतने तूफान भी कहाँ से आयँगे?"
इस उत्तर से प्रसन्न होकर उसे तत्काल नौ सेना में भरती कर लिया गया। यही युवक आगे चलकर लार्ड माउन्टबेटन के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
ऐसा ही एक बार एक जैनमुनि से किसी ने पूछा : "यदि सारी दुनिया के स्त्री-पुरुष जैनधर्म के अनुसार दीक्षा लेकर श्रमण - श्रमणी बन जायँ तो फिर भोजन कौन बनायगा? और कोई भोजन नहीं बनायगा तो खायेंगे
क्या?"
उस समय एक जैन पण्डित मुनिराज के पास ही बैठे थे। वे बोले : "जिस दिन सब लोग जैनदीक्षा लेकर साधुसाध्वी बन जायँगे, उस दिन पत्थर भी लड्डू बन जायँगे और सारी शिलाएँ रोटियाँ बन जायँगी !"
प्रश्नकर्ता : “वाह ! ऐसा कैसे हो सकता है ?"
पण्डित : "तो ऐसा भी कैसे हो सकता है कि सब प्रव्रज्या ले लें?"
सब हँस पड़े। बात खत्म हो गई।
एक सड़क से कोई जैनमुनि जा रहे थे। उन्हें सुनाकर एक द्वषी ब्राह्मण पंडित ने अपने शिष्यों से कहा : "जो इन जैनमुनियों को देखता है, वह नरक में जाता है !"
__ मुनि ने मुस्कराकर पूछा : "और जो आपके दर्शन करता है, वह कहाँ जाता है ?"
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