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१. अनित्यता हमारी साँसों की संख्या निश्चित है। यही कारण है कि किसी मनुष्य के देहावसान पर कहा जाता है - उसने अन्तिम साँस छोड़ दी !
अंजलि में जल भर कर यदि आप खड़े रहें तो आप देखेंगे कि कुछ ही समय बाद वह सारा जल समाप्त हो जाता है। जिस प्रकार अंजलि से बाहर एक -एक बूंद निकलती जाती है, वैसे ही हमारी आयुष्यका भी एक - एक क्षण बीतता जाता है।
___ काल के तीन विभाग किये गये हैं- भूत, वर्तमान और भविष्य । जो बीत चुका है, वह भूतकाल है। बहुत से लोग उसके शोक में ही डूबे रहते हैं। शोक, खेद या दुःख से बिगड़ा कार्य सुधर नहीं सकता। इसी प्रकार भविष्य की चिन्ता भी व्यर्थ है । वह हमारे सुख की मात्रा को अनावश्यक रूप से कम कर देती है। रह गया- वर्तमान काल । महत्त्व इसीका है। यदि वर्तमान में अच्छे कार्य किये जा रहे हैं तो भविष्य अच्छा होगा ही।
डार्विन ने कहा था कि मनुष्य बन्दर का विकास है; परन्तु बन्दर से पूछा जाय तो वह क्या कहेगा? वह कहेगा कि मनुष्य बन्दर का पतन है; क्योंकि वह भूत के शोक और भविष्य की चिन्ता में खोया रहता है; और इस प्रकार अपने वर्तमान के आनन्द से वंचित रहता है। उस से हमारा जीवन अच्छा है।
नदी में बहने वाले जल के समान जीवन निरन्तर प्रवाहित हो रहा है। एक क्षण के लिए भी बहता हुआ जल रुकना
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