SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 22
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रमुखता देते । मुनिश्री की योग्यता को देखते हुए संवत २००४, माघ सुद १३ के शुभदिन पूना में पू. आचार्य श्री कीर्तिसागरसूरीश्वरजी म. सा. ने उन्हें गणिपद प्रदान किया । उसके बाद क्रमशः वि. सं. २००५, मार्गशीर्ष मुद १० को बम्बई में पंन्यास पद, वि. सं. २०११, मात्र मुद ५ को साणंद में उपाध्याय पद तथा संवत २०२२, माघ वद , को साणंद में ही आचार्य पद से उन्हें विभूषित किया गया । आचार्य पदवी के बाद आप पूज्य आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी म. सा. के नाम से जगत में प्रख्यात हुए । समय की गति के साथ-साथ आचार्यश्री की उन्नति भी निरंतर गतिशील थी । संवत् २०२६ में समुदाय का समग्र भार आचर्य श्री पर आया और वे गरछनायक बने । वि.मं. २०३९, जेट सुद ११ के शुभ दिन महुड़ी तीर्थ की पावन वसुंधरा पर विशाल जन समुदाय की उपस्थिति में सागर समुदाय की उच्च प्रणालिका के अनुसार आचार्य श्री को विधिवत् 'गच्छाधिपति' पद से विभूषित किया गया । योग मार्ग के साधक पूज्य आचार्यश्री को आत्मध्यान में बैटना अत्यंत प्रिय था । आपश्री हमेशां गुफाओं में, नदी के किनारे, खेत में, जिनमंदिर आदि में आत्मध्यान में बैट जाते और घण्टों तक आत्मा की मस्ती में तल्लीन हो जाते थे। २१ www.kobatirth.org For Private And Personal Use Only
SR No.008722
Book TitleKailashsagarsuriji Jivan yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMitranandsagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year1985
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy