________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
४९
जीवन में सदाचार की सम्पत्ति है. अब यह भवन उपाश्रय का अंग है. इस पर से अपनी ममता का त्याग करके अपनी भूल का मैं प्रायश्चित्त कर रहा हूँ.”
इसी प्रकार एक बार किसी राजा ने अपना नव-निर्मित भवन किसी साधु को दिखाकर निवेदन किया-इसमें कहीं कोई कमी रह गई हो तो कृपया बताने का कष्ट करें.
साधु ने कहा - "राजन्! इसमें दो कमियां रह गई हैं, परन्तु उन्हें दूर करने की शक्ति आपमें नहीं है"
राजा ने कहा :- “मेरे पास वहुत धन है, मैं उन कमियों को अभी दूर करवा देता हूँ. आप बताइये तो सही!"
साधु ने कहा :- “पहली कमी तो यह है कि यह भवन नश्वर है, किसी न किसी दिन गिर जायगा. दूसरी कमी यह है कि इस भवन को बनाने वाला इसे छोड़कर एक दिन चला जायेगा." यह सुनकर राजा बहुत लज्जित हुआ. उसका अहंकार नष्ट हो गया. हमारे पास पूर्वाचार्यों के बनाये हुए कुछ ग्रन्थ ऐसे हैं, जो गृहस्थ जीवन का भी मार्गदर्शन करते हैं. साधु गृहस्थ जीवन के कार्यों का ऐसा मार्ग-दर्शन कर सकते हैं कि जिससे कम से कम दोष लगे. क्या आपने पूछा है कभी किसी साधु से?
विवाह की पत्रिका छपवाई जाती है, मैं तो उसका भी मैटर डिक्टेट कराने को तैयार हूँ, मुश्किल यही है कि आपको वह मैटर पसंद नहीं आयेगा. साधु की भाषा लोग स्वीकार ही नहीं करते.
आपके घर विवाह शादी का प्रसंग हो तब आप मुझसे पत्रिका के लिए मैटर लिखवाकर ले जाइये. और कोई भी पूछे तो वेखटके आप मेरा नाम बतला दीजिये. कि यह पद्मसागर ने लिखवाया है.
श्रावक की विवाहोत्सव पत्रिका का मजमून ऐसा होना चाहिये, जिसके द्वारा कम से कम दोष लगे. जैसा मजमून मैं लिखवाऊँगा, उसके मुख्य शब्द इस प्रकार होंगे.
बड़े ही खेद के साथ लिखना पड़ रहा है कि हमारे परिवार में एक श्रावक ने जन्म लिया था, हमें आशा थी कि वह श्रमण बन कर आत्मकल्याण करेगा. प्रभु महावीर के सुझाये मोक्ष मार्ग का पथिक बनेगा, परन्तु दुर्भाग्य से उसके कुछ कर्म-भोग बाकी हैं, इसलिए वह दुराचारी न बनकर स्वदारा सन्तोष व्रत का पालन करता हुआ सदाचारी बना रहे. इस आशय से उसका मजबूरी में विवाह करना पड़ रहा है, आशा है, इस दुःखमय प्रसंग पर पधार कर आप हमारे परिवार को धीरज बँधायेंगे. सान्त्वना देने का प्रयास करेंगे...आदि.
छत्रपति शिवाजी के गुरु समर्थ स्वामी रामदास ने अपने विवाहस्थल पर पुरोहित के मुँह
For Private And Personal Use Only