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जीवन में सदाचार
स्वर्णमुद्राओं के दान का आश्वासन देकर शब्दों से ही आपको भी प्रसन्न कर दिया. हिसाब बराबर . लेना-देना कुछ नहीं."
इसी प्रकार यदि आप शब्दों से मुझे प्रसन्न करें कि आपने बहुत अच्छा प्रवचन किया औरं मैं भी शब्दों से आपकी प्रशंसा कर रहा हूँ कि पाली के श्रोताओं ने मुझे बहुत दिल से सुना तो इससे किसी को कोई लाभ नहीं होगा.
मैं चाहता हूँ कि आप यहाँ से कुछ लेकर जायें. अधर्माचरण से बचने का, सदाचार को अपनाने का या रात्रि भोजन छोड़ने का संकल्प लें.
बैंगलोर की बात है. शराब की चर्चा करते हुए मैं एक प्रवचन में समझा रहा था कि उससे गटर का पानी अच्छा होता है, क्योंकि गटर के पानी से केवल शरीर गन्दा होता है, जब कि शराब से शरीर, मन और बुद्धि तीनों गन्दे हो जाते हैं... आदि. यह सब सुनकर श्रोताओं के मन में शराब से ऐसी घृणा हो गई कि लगभग दो हजार विद्यार्थियों ने खड़े होकर सामूहिक रूप से शराब न पीने की प्रतिज्ञा ले ली. कुछ लोगों ने वहाँ फिल्म देखने का और कुछ ने फिल्म संगीत सुनने का भी त्याग कर दिया.
संगीत कौनसा :
कुछ लोग कहते हैं कि संगीत तो कानों को सुहाता है, पर वे यह नहीं जानते कि फिल्म संगीत सुगरकोटेड पॉयजन है (शक्कर चढी जहर की गोली है), कान से मन में पहुँच कर वह आपकी दुर्वासनाएँ जगाता है. उसका सायकोलोजिकल इफेक्ट बुरा होता है.
स्वर
दूसरी ओर भारत का शास्त्रीय संगीत है. दुनिया भर में उसका सम्मान होता है.. शब्द, और उत्तम भावों का उसमें समन्वय पाया जाता है. राग-रागिनियों को सीखने के लिए वर्षों साधना करनी पड़ती है.
पहले देशना मालकोस राग में दी जाती थी. इस राग के स्वरों में अहंकार नष्ट करने की शक्ति है.
परमात्मा की स्तुति प्रायः भैरवी राग में की जाती है. नमाज भैरवी राग में पढ़ी जाती है; क्योंकि यह राग बहुत कोमल है. सारे स्वर कोमल लगते हैं- इसमें. परमेश्वर की प्रार्थना में, स्तुति में, भक्ति में कोमलता अनिवार्य है; इसलिए इसी राग को पसन्द किया जाता है.
विश्वविख्यात डिक्टेटर था - मुसोलिनी. उसे अनिद्रा की बीमारी हो गई. सब तरह का इलाज करवा लिया, परन्तु रोग नहीं मिट पाया. भारत के सुर सम्राट पं. ओंकारनाथ ठाकुर ने ऐसी रागिनी सुनाई कि उसकी स्वर लहरी से मुसोलिनी को नींद आ गई. सुरसम्राट का उसने अत्याधिक सम्मान किया. उसे भारतीय संगीत की शक्ति स्वीकारनी पड़ी. यह तो बिल्कुल ताजी घटना है - इसी शताब्दी की.
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