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आचार्य श्री पद्मसागरसूरि संचालित आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर व आचार्य श्री कैलाससागरसूरि समाधि स्थल (गौतमस्वामी गुरूमंदिर) के उद्घाटन का भव्य समारोह हुआ. साथ ही महावीरालय की कुलिकाओं में मुनिसुव्रतस्वामी व नेमिनाथ प्रभु की अंजनशलाका-प्रतिष्ठा महोत्सव आदि शासन प्रभावना के कार्य सम्पन्न हुए. यहाँ की रज-रज में आपकी धड़कनों का वास रहा है. आज कौन नहीं जानता इस त्रिवेणी संगम स्थान को.? आधुनिक विश्व के जैन इतिहास में इस केन्द्र का शिरमौर स्थान है. उत्तर भारत एवं नेपाल की यात्रा
गुजरात में धर्म प्रभावना के अनेक प्रसंगों को नेतृत्व प्रदान कर, आपने मई, सन् १९९३ को उत्तर भारत की ओर विहार प्रारंभ किया. श्री मधुपुरी (महुड़ी) तीर्थ से तारंगाजी तीर्थ के पदयात्रा संघ में निश्रा प्रदान करते हुए अंबाजी-आबू होते हुए वीरों की भूमि राजस्थान में पावन पदार्पण किया.
राजस्थान आपके प्रारम्भिक मुनि-जीवन की कर्मस्थली रही है. यहाँ के जैन संघों पर आपके द्वारा अनेकों उपकार हैं. उत्तर भारत की ओर प्रयाण के इस चरण में १९९३ का चातुर्मास आपश्री ने अपने शिष्यवृन्द के साथ प्राचीन ऐतिहासिक नगरी भीनमाल में किया. कविशेखर माघ एवं उपमितिकार श्री सिद्धर्षि की यह जन्म-भूमि मानी जाती है. इस अवधि में भीनमाल के श्री महावीरस्वामी जिन मन्दिर स्थित शिल्प कलायुक्त अष्टापद जिनमन्दिर की एवं सीमन्धरस्वामी जिन मन्दिर की प्रतिष्ठाएँ हुई.
वर्षावास की पूर्णाहुति के बाद आचार्यश्री जब माउन्ट आबू थे उस अरसे में राजस्थान सरकार हर ट्रस्ट में अपनी ओर से एक प्रतिनिधि नियुक्त करने हेतु अध्यादेश ला रही थी. इससे जैन-जैनेतर सारे समाज में एक तरह से तनाव और चिन्ता का वातावरण था. ___ पूज्य राष्ट्रसन्त ने उस वक्त राजस्थान के गवर्नर श्री चेन्ना रेड्डी को बुला कर अपनी कुशल युक्तियों के द्वारा उन्हें पूरी तरह से समझा कर
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