________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
३६. प्रेम बेला
प्रेममूर्ति नवकार !
प्रेम की प्रथम बेला को खोजने का मैंने प्रयत्न किया, किन्तु
ति र सामने यक्ष-प्रश्न खडा हो गया...! गीत प्रेम की प्रथम बेला कौनसी ?
m उसे मैं खोज न सका। खेत में कृषक ने किस धान का बीज बोया है, भला अबोध मानव को कहाँ से यह बोध हो ? उगने के बाद ही उसके पत्तों से अनुमान कर सकते हैं। तुम मेरी मन-भूमि में कब प्रेम के बीज बो गये ? उस सौभाग्यवती 'बेला' को मैं न जान सका । परन्तु आज यह अंकुरित होकर फला-फला है। अब ध्यान में आया कि किसी शकुनवंती क्षण में प्रेम का बीज बो दिया गया था। शायद । अब तो स्नेहसित हो मैं इसका जतन करूंगा कल इस में सुरभित सुंदर प्रेम-पुष्प खिलेंगे
और परसों, मंजुल फल फलित होते दिखाई देंगे। प्रेम कुसुमों की वह सौरभ सच 105
हे नवकार महान
For Private And Personal Use Only