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कहता जाता हूँ कि मेरी मृत्यु के पश्चात आप रोना नहीं ! किसी प्रकार का शोक न मनाना ! मैं गया हूँ अद्भुत स्थान में ! वहाँ नहीं शोक....लवलेश....कंकाश, न जरा भी धिक्कार ! मिला है मुझे अमूल्य अप्राप्य बड़ा अधिकार ! में शान्त हूँ, सुखी हूँ। आनन्दमग्न विभोर हूँ। आप रो कर आँख न दुखाना ! ली शोक करके दिल न दुभाना ! आपको भी जाना है यह कभी न भूलना ! दुबारा नये रूप रंग में मिलेंगे वहाँ ! किन्तु....! इस से पूर्व महाप्रयाण की तैयारी करना न भूलना!
२३. आरती
प्रियतम प्रभो नवकार !
ती
तेरी आरती का समय हो गया है। मैं तेरी आरती उतारता हूँ। उसमें नव नव पातियाँ टिमटिमा रही है।
हे नवकार महान
२५
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