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-गुरुवाणी
___ वर्ष 1947 में लाहौर से आने वाला एक हिन्दू परिवार तीन दिन तक लाहौर स्टेशन पर रुका रहा. गाड़ी में जगह नहीं, स्पेशल ट्रेन थीं, भर करके जा रही थीं. उस समय देश का विभाजन हआ. यह हमारा दुर्भाग्य था. भाई-भाई का क्लेश, न जाने कितने व्यक्तियों का घर उजाड़ गया और ऐसे ही दुःखद समय की यह घटना है. तीन दिन तक, जिस व्यक्ति ने अपना घर जलते हुए देखा, अपने परिवार को मरते हुए देखा, दुख और दर्द से भरा हुआ इन्सान एक छोटा सा अपना बालक और अपनी स्त्री को ले करके मश्किल से स्टेशन पर पहुंचा. जो कुछ भी थोडा बहुत बचा हुआ सामान था. वह बेचारा घर से सूटकेस के अन्दर लेकर निकला था. परमेश्वर का नाम लेकर स्टेशन तक पहुंच गया, वहां सुरक्षित वातावरण था. गाड़ी की प्रतीक्षा में तीन दिन निकल गये और उसे भूख और प्यास बड़ी गजब की लगी हुई थी. चौथे दिन बड़ी मुश्किल से एक ट्रेन के अन्दर प्रवेश मिला. इंजन ड्राइवर से निवेदन किया, कि भाई यहां से हिन्दुस्तान की सीमा तक मुझे पहुंचा दे. मज़बूरी का इन्सान कितना गलत फायदा उठाता है.
ड्राइवर कहता है कि पांच सौ रुपए दो तो इंजन में बिठाता हूं.
शरणार्थी है. उसका जीवन भयंकर दुःख से घिरा हुआ है. पूरे परिवार को मरते हुए अपनी नजरों से देखा. जिस घर में वह जन्मा, उसे जलते हुए उसने देखा है और उसकी लाचारी का यह दुःखद शोषण. कैसी अनीति? कैसा अन्याय? यह अन्याय ही नहीं अत्याचार है.
उस व्यक्ति ने इंजन में अपना बाक्स रखा. अपने बच्चे और अपनी स्त्री को पहले ही लेडीज़ कम्पार्टमेंट में चढ़ा दिया और स्वयं इंजन में आ कर बैठ गया,
ड्राइवर ने कहा कि भाई तुम शरणार्थी हो, क्या पता तुम बदल जाओ, पैसे देने से इनकार कर दो, इसलिए पहले एडवांस पांच सौ रुपए दे दो.
उसने सूटकेस खोलकर पांच सौ रुपए गिन करके दे दिए. सारा सूटकेस सोने और नोटों से भरा हुआ था. बेचारे के पास जो कुछ घर में था, ले करके निकला था. बाकी तो सब नाश हो गया.
उसके सूटकेस के अन्दर की वस्तुएं देखते ही ड्राइवर के मन में पाप का प्रवेश हो गया. वह बेचारा थका हुआ था, तीन दिन का भूखा, प्यासा. गाड़ी चालू हो गई तो चलती हुई गाड़ी में उसको झपकी आने लगी और नींद भी आने लगी, मन में थोड़ी शांति मिली थी कि चलो अब अपने देश सुरक्षित पहुंच जाऊंगा. वहां जा करके फिर से कोई नया कारोबार करूंगा. ड्राइवर की फायरमैन से इशारे में बात हो गई. ड्राइवर ने कहा, यार यहां हज़ारों-लाखों रोज मरते हैं. अगर यहां एक मर गया तो कौन पूछने वाला है. जिंदगी में इतना नहीं कमा पायेंगे. सारी सम्पत्ति आ जाएगी. कोयला झोंकने का जो फावड़ा होता है, फायरमैन ने वह उठा करके उसके माथे पर मारा. वह तो बेचारा सो रहा था और
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