SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra an เคล www.kobatirth.org गुरुवाणी हमारी परम्परा बड़ी सुन्दर है. हमारी सभ्यता सारे जगत् में एक आदर्श है. एक जमाना था जब परिवार का प्रेम कितना अद्भुत था. मैंने आपको रामायण की बात कही, राम के परिवार का एक सामान्य परिचय दिया कि राम जब वनवास से लौट करके आने लगे तो भरत राज्य का संचालन कर रहे थे. अशोक वाटिका तक राम का आगमन हो गया, हनुमान पास में ही थे हनुमान और राम का अभूतपूर्व प्रेम था. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हमारी जैन रामायण में हनुमान मोक्ष में गये, आप आश्चर्य करेंगे, कई बार लोग संकुचित भावना से अन्यथा विचार कर लेते हैं. जैन दृष्टि से, हमारे यहां तो राम का वही आदर्श है जो महावीर का है. कोई अन्तर नहीं है कदाचित् राम के उपासक उपेक्षा कर जाएं. हमारे यहां दृढ़ नियम है. हिन्दुस्तान का एक भी जैन साधु या साध्वी ऐसा नहीं कि जो द्रौपदी और सोलह सतियों का नाम लिए बिना मुंह में पानी डाले. प्रतिदिन प्रातः काल प्रतिक्रमण में सोलह सतियों का नाम लेना ही पड़ता है. यह सच्चाई है. उनका नाम बड़े आदर से स्मरण किया जाता है, तदनन्तर ही मुँह में पानी डाल सकते हैं. महान तीर्थ शत्रुंजय में सर्वप्रथम प्रवेश करते समय पांच पांडवों की मूर्ति आती है. हनुमान मोक्ष में गए, तद्भव मोक्षगामी आत्मा थे, पूर्ण ब्रह्मचारी थे, उनके जीवन का आदर्श आपको जैन रामायण में मिलेगा. हाँ तो हनुमान और राम का ऐसा स्नेह था कि एक दूसरे को आप अलग नहीं कर सकते. प्रत्येक क्षण राम और हनुमान साथ ही सोते तथा राम जागते तो हनुमान भी जागते. एक दिन रामचन्द्र जी के मन में एक ऐसी कल्पना आई कि सारी दुनिया कहती है कि राम के नाम से पत्थर तैरता है. नदी के किनारे वे उस समय विश्राम कर रहे थे. रात्रि का एकांत समय था और मन में एक विचार आया तो उन्होंने सोचा कि मैं स्वयं एक बार प्रयोग करके देखूं प्रयोग तो हमेशा संदिग्ध होता है. प्रयोग तभी किया जाता है जब मन में सन्देह हो, विश्वास में प्रयोग नहीं होता, अविश्वास में ही प्रयोग होता है. एक बार यदि आप राम का नाम लेते हैं, तो वह आत्मकल्याण का मुख्य कारण बनता है. राम का नाम पुनः पुनः हम इसलिए दोहराते हैं ताकि हमारे अन्तःकरण के का उद्दीपन हो सके, वे भाव जागृत हो उठें. सुषुप्त भावों कबीर के आश्रम में एक बार एक बड़ा दुःखी व्यक्ति आया. परन्तु कबीर घर पर नहीं थे. कबीर के घर में उनकी पत्नी थी. कबीर का बड़ा सुन्दर और संतोषी जीवन था, और वे कटु सत्य कहने वाले व्यक्ति थे. उनकी पत्नी ने आने वाले व्यक्ति से पूछा कि भाई कैसे आए? तभी उसने कहा कि मैं बहुत दुःखी हूं, मुझे ऐसा उपाय बतलाइए कि जिससे मेरे जीवन में सुख का आगमन हो दुख और दर्द से मेरा जीवन आप्लावित है, और मैं यह आशीर्वाद लेने आया हूं कि मेरा दुख चला जाए और मुझे सुख मिल जाए. पत्नी ने कहा यह राम नाम की औषधि दिन में तीन बार लेना. आपके सारे दुख का रूपांतर हो जायेगा और सुख 'की अनुभूति मिलेगी. वह बेचारा आशीर्वाद लेकर जाने लगा उसी समय 50 For Private And Personal Use Only वह
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy