________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुवाणी धर्मफल विशेष देशना विधि पूर्वावधवशादेव, तत्स्भावत्वतस्तथा / अनन्तवीर्ययुक्तत्वात्, समयेनानुगुण्यतः // 47 // पूर्व संस्कार वश कर्मरहित होने पर भी ऊर्ध्वगमन करता है। और उस प्रकार के स्वभाव से तथा अनंत वीर्य युक्त होने से एक समय में समश्रेणि के आय से परम पद को पाता है. स तत्र दुःखविरहादत्यन्तसुखसंगतः / तिष्ठत्ययोगो योगीन्द्रवन्धस्त्रिजगदीश्वरः // 48 // दुःख के विरह से, अत्यंत सुखसहित, योगीन्दों द्वारा वंदनीय तीन जगत के परमेश्वर अयोगी सिद्ध भगवान मोक्ष में स्थित है. 676 For Private And Personal Use Only