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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी प्रक्रिया है आत्मा को पाने की, अरोग्य को प्राप्त करने की, चित की शान्ति को प्राप्त करने की, मंगल क्रिया सामायिक की क्रिया है. वैसी स्थिति मे आप सामायिक मे आ जाएं, समभाव की स्थिति को लाने का यदि आप पुरुषार्थ करें, अन्तर मुहूर्त में यदि इस प्रकार का समत्व आ जाये, जीवन धन्य हो जाये. इस मंगल क्रिया मे 48 मिनट का टाइम इसीलिए रखा है कि जीव को मोक्ष जाने के लिए यह 48 मिनट का टाइम चाहिए. इस 48 मिनट में अगर ध्यान मे एकाग्रता आ जाये, चित्त मे एकाग्रता आ जाए, अपूर्व प्रकार की प्रसन्नता आ जाये, जीव मात्रा के प्रति पूर्ण समत्व आ जाये 48 मिनट में वह हिन्दु हो, मुसलमान हो, जैन हो, किसी भी जाति में जन्मा हो मोक्ष का अधिकारी बनना है. चित में प्रसन्नता और अपूर्व समत्वका भाव, जीव मात्र के प्रति एकदम समत्व का भाव आना चाहिए, यह मोक्ष की शर्त है. राग और द्वेष एकदम क्षय होना चाहिए. संसार में शून्य बनकर के सामाजिक साधना मे प्रवेश होना चाहिए. फिर देखिए उसका अनुभव. जैसे-जैसे राग और द्वेष के परिणाम को क्षय करेंगे, सामायिक क्रिया द्वारा, यह ऐसा शस्त्र है राग द्वेष के नाश करने का. जगत में आपको ऐसा एक भी शस्त्र नही मिलेगा. किसी भी एटम बम्ब में कर्म को मारने की ताकत नहीं, इन्सान मार देगा मकान को तोड देगा, वह ताकत है मात्र ध्यान में, परमात्मा के स्मरण में, वह ताकत है कि कर्म का नाश कर डाले, संसार का ही नाश कर डाले. परन्तु वह स्थिति लाने के लिए आपको पुरुषार्थ तो करना ही पडेगा. ध्यान में अभी तक वह स्थिति नहीं आई. कई बार जाप करते-करते ध्यान करते-करते दिखता है और मन में थोडी बहत लालसा होती है कि जरा संकट है, इतनी माला जपता हूँ, जरा भगवान ध्यान दो, मेरी मनोकामना पूर्ण हो जाये. ___ मफतलाल ने अट्ठम किया. अट्ठम किया परन्तु हुआ ऐसा, मन में लालसा थी, महाराज कहा करते कि तीन उपवास में बड़ा चमत्कार है, तीन उपवास के साथ यदि परमात्मा का पुण्य स्मरण हो जाए, तब तो जीवन का दरिद्र ही चला जाए. रात का समय था जाप करके सो गया, अन्तर में वासना थी, संसार को प्राप्त करने की. माला लेकर बैठ तो गया, बैठे-बैठे उसे नींद आ रही थी, माला पूरी की और सो गया. __अन्तर की वासना थी, सुपुष्ट विचार थे, वह स्वप्न के अन्दर विचार ने आकर ले लिया, स्वप्न में क्या देखता है कि देवी प्रसन्न हो गई, आकर उसे कहती है-मांग तुझे क्या चाहिये? मफतलाल जिस वासना को लेकर सोया था, वही वासना यदि साकार बन जाये, कितना आनन्द आये, देवी के चरणो में गिरा. विचार करता है, क्या मांगन है? मांगने में भूल हो गयी. वरदान मांगा लिया जाए, हाथ लगाऊं वह सब सोना बन जाये. - 385 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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