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गुरुवाणी
मानो, मैं तुम्हारा कल्याण करूंगा, मैं तुम्हें मोक्ष दूंगा, मात्र मुझे नमस्कार करने से तुम्हारा कल्याण होगा तो यह हमारी संकीर्णता होगी.
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साधु जीवन तो उदारता से परिपूर्ण होता है साधु किसी संप्रदाय में बंधा नहीं रहता, वह तो अपनी व्यवस्था में अनुशासन में रहता है परन्तु उसके जीवन की उदारता ऐसी होती है कि वह सारे जगत के कल्याण को लेकर चलता है. क्या उस आत्मा के वैभव को हम ठोकर मार दें ? संकीर्णता में यदि हम आ जायें, तो उसमें वर्तमान परिणाम आपको मिलेगा. न जाने कितने मत कितने पंथ और एक ही संप्रदाय में अलग-अलग अनुयायी आपको मिलेंगे, सब की भिन्न-भिन्न मान्यता आपको मिलेगी,
जिस गुरुजन का आप पर उपकार हुआ हो, जिस गुरु ने आप पर कृपा की हो, जिसके द्वारा आपने धर्म में प्रवेश पाया हो, दिन में सी बार उस पुण्यशाली आत्मा का स्मरण करें, अपने हृदय में गुरु के रूप को स्थान देने में कोई आपति नहीं, परन्तु जब उसे सामाजिक रूप दे दिया जाये, उसे मुख्य मानकर अन्य सब को गौण कर दिया जाये तो उसका परिणाम कितना खतरनाक होगा? इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता. व्यक्तिगत अनुराग पैदा कर लें और गुणों का अनुराग आप छोड़ दें तो वह आत्मा के लिए खतरनाक बनेगा. इसलिये भगवान महावीर ने बहुत सुन्दर रूप में कहा
उत्तमगुणानुराओ निवसई जस्स हिययम्मि |
जिसमें उत्तम प्रकार का गुण अनुराग आ जाये. वह व्यक्ति निश्चित रूप से अपना कल्याण कर सकता है. तीर्थंकर पद की प्राप्ति सहज में कर सकता है. गुणों के अनुराग को यह महत्व दिया गया है. यहां सम्प्रदाय विशेष को महत्व नहीं दिया गया. हमारे अन्दर दिन प्रतिदिन यह रोग बढ़ता जा रहा है. न जाने कितने गुरु हो गये. फिर उन गुरुजनों की प्रतिष्ठा, फिर उन गुरुजनों की उपासना यहां तो महावीर की वर्ष में एक बार जयन्ती आती हैं परन्तु हमारे गुरु तो एक नहीं अनेक पैदा होंगे. आप किन-किन व्यक्तियों की जयन्तियों को मनायेंगे ? तीन सौ साठ दिन भी कम पड़ेंगे.
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समय बहुत लम्बा चौड़ा है. यहां तो ऐसे गुरुजनों को भी, जिनका हमारे ऊपर महान उपकार हुआ, हम भूल गये. या फिर अन्तर में वासना आ गई, कामना आ गई कि इसकी जयन्ती मनाओ, पूजा कराओ, मूर्ति रखो, फिर उसी अन्ध मान्यता से हम घिर गये बहुत ही स्पष्ट लगने वाले अलग-अलग सम्प्रदायों में हम बंट गये. एक ही सम्प्रदाय में अलग-अलग साधुओं, अलग-अलग आचार्यों में हम बंट गये. परमात्मा का पूरा शासन आज खण्डित हो गया. इस जीवावस्था में इसका जीर्णोद्धार नहीं किया तो यह इमारत टिकनी बहुत मुश्किल है.
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मेरे जैसे एक नहीं अनेक आयेंगे, आप किस-किस से अनुराग रखेंगे, मैं इसलिए बहुत स्पष्ट कहता हूं, जहां भी जाता हूं, पहले ही सूचना देता हूं जाते समय आशीर्वाद में कहता हूं. अगर मेरा राग रखा तो निश्चित रूप में तुम्हारा पतन होगा. तुम डूब जाओगे. साधु
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