________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
-गुरुवाणी
आज तक मन में वह बात आई नही. दूंगा तो लुट जाएगा, जो ऐसा विचारता है वह । आज नहीं तो कल लुटने ही वाला है. हमारे धर्म बिन्दु ग्रंथ में जिसका चिन्तन चलता हैं उन्होंने कहा-कोई लक्ष्मी की पूजा करने की जरूरत नहीं. कोई देवी-देवताओं की मान्यता की जरूरत नहीं, तुम्हारी उदारता तुम्हारे अन्तराय कर्म को क्षय कर देगी. सारी दीवार टूट जाएगी रुकावट की, बिना निमन्त्रण लक्ष्मी आपके द्वार पर आए, वह उपाय बतलाया गया-दान.
दान की रुचि चली गई. दान भी देना तो प्रकट देना, प्राण चला जाए, डेड बोडी रह जाए. मैंने दिया वह गप्त दान कैसा? जिसमें सुगन्ध मिले गप्त दान मोक्ष का दान माना गया, वह देने की रुचि आज कहां रही.
सेठ मफतलाल दिल्ली से देवलोक में गए और डैपुटेशन लेकर के गए. वहां जाकर शिकायत की कि सन्त झूठ बोलते हैं. उनको कोई धन्धा नहीं, वे यही बात किया करते हैं दान दो, सुखी बनोगे. वे बार-बार कहते है कि देव लोक में कुछ भी नहीं, मनुष्य भव में ही सब कुछ हैं. मनुष्य जन्म ही मोक्ष की साधना का परम साधन है, हमारा जीवन आप जानते हैं, कैसा दुखमय बना है, सुबह से शाम तक पेट की चिन्ता से ही मुक्त नही बनते.
रोज टैन्शन. परिवार का टैन्शन, कमाई का टैन्शन, राजकीय टेन्शन, न जाने कितनी समस्याओं से भरा हुआ हमारा संसार है. सुख का तो नाम निशान भी नही रहा. स्लीपिंग टेबलेटस लेकर रात निकालते हैं. दिन को बोलने का नशा चढाकर निकालते हैं. यह हमारे जीवन की दुर्दशा है इसीलिए देव लोक में हम यह शिकायत लेकर आए हैं. साधु-सन्तों का बकना बन्द करवा दें, ये बेकार की बात करते हैं. सब तो देवलोक में देखा जाता है, मैं यह जानने आया हूं कि सुख का रास्ता क्या है? उपाय क्या है? आप इतने सुखी और हम दुखी है. इसका कारण क्या है?
इन्द्र महाराज ने कहा-आप बहुत दूर से आए हैं, भोजन आदि ग्रहण करें, उसके बाद शान्ति से आपके प्रश्न का उत्तर दूंगा, एक शिष्टाचार तो है ही भोजन का समय हो गया था. ले गए अन्दर डायनिंग टेबल लगा था. बडी सुन्दर भोजन की सामग्री रखी थी. देवताओं को वहां क्या कमी थी?, सुख के वैभव को क्या दुष्काल था? वहां भोजन के लिए सब बैठ गए, देवता भी अपने चैम्बर में गए, मफत लाल भी बैठ गए.
जैसे ही भोजन के लिए हाथ लम्बा किया, डिश में हाथ डाला गोलियां लेकर जब मुहं पर लाने लग गए, हाथ सबके स्थिर हो गए, अब गोलियां मुहं मे जाएं नहीं, हाथ वहीं का वहीं अटका रहा, अब वहां लम्बा चौड़ा भाषण चलना शुरू हुआ, मफतलाल ने कहा-ये तो बड़ा गलत किया गया, हमारा अपमान किया गया, हम इतनी दूर से आए. भोजन की थाली पर बैठा करके हमारा इस प्रकार का देवता लोक में अपमान. जाकर के दिल्ली में बड़ी सभा करेंगे, विरोध का प्रस्ताव पास करेंगे, प्रस्ताव यहां पर भेजेंगे, आन्दोलन चलाएंगे, रैली निकालेंगे, नारे लगाएंगे, घरों मे विज्ञापन देंगे, अपमान का बदला
-
-
329
For Private And Personal Use Only