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प्रतिदिन पूजा करने वाला, तीनों समय परमात्मा का दर्शन करने वाला, बड़ी निर्मल आत्मा थी.
लोगों के हृदयपर उसका साम्राज्य था, प्रेम का साम्राज्य था, जो कभी नष्ट होता ही नहीं राम का कैसा प्रेम का साम्राज्य रहा जो आज तक विद्यमान है. लोगों के अतहृदय पर आज भी उनका राज्य है, बाहर से लाए या आए, उसका कोई मतलब नहीं, कोई मूल्य नहीं. जो हृदय में स्मृति बनाकर बना रहे, उसी का मूल्य है. आप देख लेना आहड महामंत्री राजदरबार में कैसे आए, जैसे ही वहां तिलक देखा और भडका. देखते ही उसके अन्दर उसे लगा कि यह कुमार पाल का व्यक्ति है. कदाचित् यहां मेरे राज्य में यह विद्रोह पैदा करेगा. आग की चिनगारी लेकर के आया है, मन में ऐसी भय की कल्पना थी. पहले आदेश उसने दिया कि तिलक मिटा करके आओ, उसके बाद मेरे राजदरबार में तुम आ सकते हो. उसकी बहादुरी देखिए. अस्सी वर्ष की अवस्था थी. वयोवृद्ध व्यक्ति था. पूरा प्रामाणिक अपने जीवन में था. परन्तु प्रभु शासन का अनुराग कैसे रोम-रोम में से परमात्मा की पुकार निकलती थी.
उसने कहा राजन्! मैं आपके काम में पूर्ण वफादार रहूंगा, परन्तु यह मेरा तिलक मेरी श्रद्धा का प्रतीक है. मैंने परमात्मा तीर्थंकर को अपना जीवन अर्पण कर दिया है. उनकी आज्ञा मैंने शिरोधार्य की है, यह उनका मंगल प्रतीक है. यह मैं मिटा नही सकता. राजन् । आप मुझे मिटा सकते है. मेरा तिलक नही मिट सकता.
विचार के अन्दर दृढ़ता थी. ऐसी दृढता आज हमारे अन्दर कहां. भौतिक वस्तु को प्राप्त करने के लिए इन्सान पैसे के लिए प्राण देता है. परमेश्वर के लिए अर्पण करने वाले कितने है?
1945 के अन्दर विश्व युद्ध के पूर्ण होने की तैयारी थी. यह घटना 44 की है. पैंतालीस के अन्दर तो युद्ध समाप्त हो गया. परन्तु 44 के अन्दर एक ऐसी घटना घटी, जापान की राष्ट्रीय भावना का कभी आपने इतिहास नही देखा होगा. घमासान युद्ध चल रहा था. वहां के नागरिक इतने घमासान युद्ध के अन्दर तबाह हो गए. परन्तु वहां कभी समर्पित होने के लिए तैयार नही. प्राण दे देंगे परन्तु समर्पण स्वीकार नहीं.
ऐसी परिस्थिति में जापान की इस दृढ़ता को देखकर ब्रिटिश सेना के कमाण्डरों ने निर्णय कर वहां से क्यून मेरीफो ब्रिटिश जलपोत जल सेना दुर्ग भेजा गया. साउथ एशिया के अन्दर, युद्ध क्षेत्र के अन्दर उसे भेजने का आदेश दिया गया. नंया मनोबल मित्र राष्ट्रों के सैनिको को मिल जाए इस आशय से...
इतना विश्वास था कि चर्चिल जैसे महान कुटिल नीतिज्ञ प्रधान मंत्री ने कहा कि यह ब्रिटिश जलपोत ब्रिटिश सेना का बैकबोन है. हमारी रीड़ की हड्डी है. जगत की कोई ताकत इसको डुबो नहीं सकती. नष्ट नहीं कर सकती. आखिर में जैसे ही युद्ध का जहाज हिन्द महासागर हो करके आया जापान के सैनिकों ने मिल करके मीटिंग किया, क्या किया
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