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-गुरुवाणी:
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सुन्दर तरीके से व्यतीत किया जाय. साधु जैसा जीवन व्यतीत करना शुरू कर दिया. कारोबार, पुत्र संसार के किसी प्रसंग पर कभी जाते नहीं. अपने यहां सामायिक अवस्था में और नवकार महामन्त्र के जाप में ही वे रहते. सारी प्रवृति बाहर की उन्होंने बन्द कर दी अन्तिम समय. . उनका एक मित्र पूछता है-मैं ने सुना है कि आपके पास तो अपार संपत्ति है. अपार वैभव. उस समय उन्होंने कहा कि मेरे पास मेरी डायरी है. मेरी संपत्ति का पूरा लेखा जोखा, उसके अन्दर में है. उसका विवरण उस में है.
डायरी निकाल कर अपने परम मित्र को दिखलाई. देखकर के वह कहने लग गया. आपने गलत लिखा है. इतनी थोड़ी पूंजी. वहां करोड़ों में है, आपने तो यह लाखों में बतलाया, यह गलत है.
हक्मीचन्द जैन ने कहा-तुम समझे नहीं मेरी बात. मैं सामायिक में हूँ. असत्य का मेरा त्याग है. तुमने मुझ से पूछा कि आपकी संपत्ति कितनी है. मैने सच बतला दिया, मेरी संपत्ति मेरी डायरी में लिखी हुई है. जो मैने समझ पूर्वक दीन दुखी आत्माओं की सेवा में, परोपकार में जिन मंदिर में, साधु सन्तों की भक्ति में, आज तक पुण्य कार्य में अर्पण किया, जो अन्तर भाव से दिया, वह मैने डायरी में नोट किया. अनुमोदना के लिए कि ये पुण्य अवसर परमात्मा की कृपा से मुझे मिला. मैं बारम्बार इसका अनुमोदन करू. भवान्तर में भी मुझे ये साधन मिल जाएं, इस प्रकार के उदार विचार मुझे मिल जाए, इस अनुमोदन के लिए मैंने नोट करके रखा है. ____ मैं मरूंगा तो यह संपत्ति ही मेरे साथ जाएगी. इसीलिए जो मेरी वास्तविक संपत्ति है. वही मैने तम्हे बतलाई. बाकी तम देखते हो - ये मकान, ये गाडी, ये नौकर चाकर धन वैभव, ये मेरे हैं ही नहीं. किसने कह दिया तुमको? ये सब गलत है. ये तो लड़कों से पूछो. मेरे पोतों से पूछो. मेरा कोई संबंध नहीं, मैं तो यहां से जाने वाला हूँ. दो दिन का मेहमान हूँ, दो दिन रहूँगा, चला जाऊँगा.
देखा आपने यह बात? कोई ऐसी डायरी आपने बनाई कि जो द्रव्य मैंने अर्पण कर दिया, दीन दुखी की सेवा में दे दिया. साधु सन्तों की भक्ति में दिया. परमात्मा की भक्ति में उत्तम भाव से जो अर्पण किया, वह मेरी संपत्ति है. मरने पर मेरे साथ जाएगी. जो तिजोरी में है, बैंक में है, आप भूल जाना यह आपका दिवा स्वप्न है. वह आपका है ही नहीं, आप मान कर चलते हैं. जो दिया गया उसी का अनुमोदन करना, पुण्य लाभ होगा.
कहाँ-कहाँ भटकना है? यह मृत्यु तो जंकशन हैं. स्वर्ग में जाना तो भी यहां से, तिर्यक् गति, पशुयोनि में जाना तो भी यहीं से, अगर दुर्गति नरक में जाना है, तो भी यहीं से. फिर से मनुष्य गति में आना हो, तो भी यहीं से. चारो ओर की गति में आप यहीं से जा
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